चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार को डिविडेंड से शानदार कमाई हो रही है. पीएसयू ने अब तक चालू वित्त वर्ष में इतना डिविडेंड दे दिया है कि सरकार का खजाना भर गया है और नया रिकॉर्ड बन गया है.
इतना मिल चुका है डिविडेंड
वित्त मंत्रालय के ताजे आंकड़ों के अनुसार, उन नॉन फाइनेंशियल सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) ने चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार को 61,149 करोड़ रुपये का डिविडेंड दे दिया है, जिनमें सरकार के पास माइनॉरिटी स्टेक है. यह आंकड़ा इन कंपनियों से मिले डिविडेंड का नया रिकॉर्ड है. नया रिकॉर्ड अभी ही बन चुका है, जबकि अभी चालू वित्त वर्ष को समाप्त होने में दो सप्ताह का समय बचा हुआ है.
संशोधित अनुमान के भी पार आंकड़ा
वित्तीय सेक्टर से इतर के पीएसयू से मिले डिविडेंड का यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए संशोधित अनुमान से भी 22 फीसदी ज्यादा है. सबसे पहले चालू वित्त वर्ष में इन पीएसयू से 43 हजार करोड़ रुपये के डिविडेंड का लक्ष्य तय किया गया था. बाद में उसे संशोधित कर 50 हजार करोड़ रुपये किया गया. अब तक डिविडेंड से हुआ कलेक्शन संशोधित अनुमान से करीब 1,100 करोड़ रुपये ज्यादा है.
इस महीने आए इतने हजार करोड़
आंकड़े बताते हैं कि मार्च महीने में ही अब तक ये सरकारी कंपनियां खजाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का डिविडेंड जमा करा चुकी हैं. महीने के आखिरी दो सप्ताह में डिविडेंड से और कलेक्शन आने की उम्मीद है, जिससे सरकारी खजाने को और फायदा हो सकता है, साथ ही डिविडेंड से कमाई का रिकॉर्ड और बड़ा हो सकता है.
तेल कंपनियों का बड़ा योगदान
डिविडेंड से हुई कमाई का रिकॉर्ड बनाने में तेल कंपनियों ने बड़ा योगदान दिया है. घरेलू बाजार में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में लंबे समय तक बदलाव नहीं होने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के भाव में ज्यादा तेजी नहीं आने से सरकारी तेल कंपनियों को अच्छा फायदा हुआ, जिसके चलते डिविडेंड भी ज्यादा हुआ. वहीं कई अन्य कंपनियों ने भी डिविडेंड को बढ़ाने में योगदान दिया.
इस महीने आए ये डिविडेंड
इस महीने अब तक जिन पीएसयू ने डिविडेंड का पेमेंट किया है, उनमें पावरग्रिड कॉरपोरेशन ने सबसे ज्यादा 2,149 करोड़ रुपये का भुगतान किया. उसके अलावा कोल इंडिया ने 2043 करोड़ रुपये, एनटीपीसी ने 1115 करोड़ रुपये, एचएएल ने 1054 करोड़ रुपये, एनएमडीसी ने 1024 करोड़ रुपये, एनएचपीसी ने 948 करोड़ रुपये, पीएफसी ने 647 करोड़ रुपये, नाल्को ने 188 करोड़ रुपये और कोचिन शिपयार्ड ने 67 करोड़ रुपये का योगदान दिया.
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