नई दिल्लीः सरकार ने आज कच्ची और रिफाइंड चीनी का निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया है ताकि इसके निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. इसकी वजह यह है कि 2017-18 के डिस्ट्रीब्यूशन सेशन में देश में रिकार्ड 2.95 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है. चीनी पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया जाता था.


केन्द्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कच्ची चीनी, सफेद या परिष्कृत चीनी पर निर्यात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर शून्य करने का फैसला लिया गया है. इससे पहले, सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क को दोगुना कर 100 फीसदी कर दिया था ताकि इसके आयात पर अंकुश लगाया जा सके.


विश्व के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में तेजी से बढ़कर 2.95 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल 2.03 करोड़ टन था. चीनी की वार्षिक घरेलू मांग 2.4-2.5 करोड़ टन की है.


चीनी की घरेलू कीमतों के उत्पादन लागत से कम होने के साथ चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ( इस्मा) और राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने अधिशेष घरेलू चीनी भंडार को विदेशी बाजारों में खपाने के लिहाज से निर्यात शुल्क को समाप्त किये जाने की मांग की थी.


जनवरी के अंत तक गन्ना किसानों की बकाया राशि 14,000 करोड़ रुपये हो गयी थी और चीनी कीमतों में गिरावट आने के कारण इसमें और इजाफा हो सकता है. चीनी मिलों ने 2017-18 विपणन वर्ष (अक्टूबर- सितंबर) के 15 मार्च तक 2.58 करोड़ टन चीनी उत्पादन किया है.