इलेक्टोरल बांड की अधिसूचना जारी, साल में 4 बार जारी होंगे बांड
भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ये बांड खरीदे जा सकते हैं. बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये कीमत के होंगे.
नई दिल्लीः सरकार ने राजनीतिक चंदे की नयी व्यवस्था इलेक्टोरल बांड की अधिसूचना जारी कर दी है. राष्ट्रीय या राज्य स्तर का कोई भी राजनीतिक दल, जिसे पिछले चुनाव में कम से कम 1 फीसदी मत मिले हो, उसे बांड के जरिए चंदा दिया जा सकेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बांड व्यवस्था का ब्यौरा संसद में रखा. इसके तहत
- भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ये बांड खरीदे जा सकते हैं.
- बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये कीमत के होंगे.
- बांड की खरीद हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में की जा सकेगी. हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
- बहरहाल, लोकसभा के चुनाव वाले साल में 30 दिन तक बांड की खरीद की जा सकेगी.
- बांड जारी होने की तारीख के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा. उसके बाद बांड की कोई कीमत नहीं रह जाएगी.
- बांड हर राजनीतिक दल के निर्धारित खाते में ही जमा हो सकेंगे. हर राजनीतिक दल को अपने सालाना रिटर्न में बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
- बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
हालांकि कोई भी व्यक्ति एसबीआर्ई की तय शाखा से बांड खरीद सकता है. वहां उसे केवाईसी (Know your customer) की शर्तें पूरी करनी होगी और पैसे का भुगतान किसी खाते से ही करना होगा जैसे चेक से.
बांड पर भुगतान करने वाले का कोई नाम नहीं रहेगा. दूसरे शब्दों में ये तो पता रहेगा कि किसने कितने के बांड खरीदे, लेकिन किसको कितने बांड दिए, इसकी जानकारी नहीं होगी.
जेटली ने बताया कि बांड का कागजी स्वरूप खास सुरक्षा चिह्न के साथ जारी होगा, ताकि उसका कोई दुरुपयोग नहीं कर सके. बांड पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा. ये बिल्कुल ही प्रमोसरी नोट की तरह होगा. बांड का विरोध कर रहे कुछ राजनीतिक दलों पर तंज कसते जेटली ने कहा कि सबसे ज्यादा फायदा विपक्षी दलों को ही होगा, क्योंकि चंदा देने वालों को पहचान उजागर होने का कोई खतरा नहीं है. “आम तौर पर लोग सत्तारुढ़ दल को ही चंदा देते हैं, लेकिन जब पहचान सामने आने का खतरा नहीं हो, तो किसी को भी पैसा देने में परेशानी नहीं,” वित्त मंत्री ने कहा.
इलेक्टोरल बांड का ऐलान बजट में किया गया था. इस व्यवस्था के जरिए मोदी सरकार राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना चाहती है. साथ ही काले धन पर लगाम भी लगाना है. ध्यान रहे कि बांड एक विकल्प है. बाकी रास्ते पहले की तरह खुले होंगे. मतलब, एक व्यक्ति की ओर से ज्यादा से ज्यादा दो हजार रुपये के नकद देने और चेक या डिजिटल माध्यमों से चंदा देने का रास्ता पहले की ही तरह जारी रहेगा.