पिछले कुछ महीनों से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश से बाहर भी खालिस्तान (Khalistan Issue) का मुद्दा गरमाया हुआ है. खालिस्तान समर्थक देश के कुछ हिस्सों में तनाव फैलाने के साथ-साथ देश से बाहर भी कुछ न कुछ हरकतें कर रहे हैं, जो एक हद तक अन्य देशों के साथ संबंधों पर असर डाल रही हैं. इस बीच मीडिया के एक धड़े में ऐसी खबरें चलने लगीं कि भारत सरकार ने खालिस्तान से संबंधित विरोध प्रदर्शनों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ब्रिटेन के साथ चल रही व्यापार वार्ता (India-UK Trade Talks) रोक दी है. हालांकि भारत सरकार ने इन खबरों का खंडन किया है.


इसी महीने अगले दौर की बातचीत


पीटीआई की एक खबर के अनुसार, भारत सरकार के अधिकारियों ने सोमवार को इन खबरों का खंडन किया है कि लंदन में खालिस्तान समर्थक समूहों से जुड़े हालिया हमलों के कारण भारत-ब्रिटेन व्यापार वार्ता ठप हो गई है. खबर में भारत सरकार के एक सूत्र के हवाले से यह जानकारी दी गई है और बातचीत बंद होने की बातों को आधारहीन बताया गया है. उन्होंने यहां तक दावा किया कि आधिकारिक वार्ता का अगला दौर 24 अप्रैल से लंदन में होने की संभावना है.


ब्रिटिश मीडिया ने किया था दावा


ब्रिटिश मीडिया की खबरों में कहा जा रहा था कि भारत ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर ब्रिटेन के साथ बातचीत को रोक दिया है. खबरों के अनुसार, भारत सरकार पिछले महीने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले के लिए जिम्मेदार संगठनों के खिलाफ और अधिक कड़ी कार्रवाई चाह रही है. इसी कारण भारत सरकार ने अपनी ओर से बातचीत रोक दी है.


खबर में दिया इस बात का हवाला


सबसे पहले ब्रिटिश अखबार ‘द टाइम्स’ ने ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया था कि भारत सरकार ने पिछले साल जनवरी में शुरू हुई व्यापार वार्ता ‘रोक’ दी है. उक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि 19 मार्च को लंदन में भारतीय उच्चायोग से तिरंगा उतारने और दो अधिकारियों को घायल करने के लिए जिम्मेदार खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और सार्वजनिक निंदा के बिना इसमें आगे कोई प्रगति नहीं होगी. बाद में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने भी बातचीत रुकने की खबर चलाई.


फरवरी में हुई थी आखिरी बैठक


आपको बता दें कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 13 दिसंबर 2022 को अपने ब्रिटिश समकक्ष केमि बेदेनोच के साथ मुलाकात की थी. तब दोनों पक्ष पारस्परिकता के सिद्धांत के आधार पर बातचीत को जारी रखने और एक-दूसरे की संवेदनशीलता का ध्यान रखने पर सहमत हुए थे. दोनों पक्षों के बीच 10 फरवरी को आखिरी दौर की बातचीत हुई थी. उसके बाद मार्च में बैठक होने वाली थी, जो खालिस्तान विवाद की भेंट चढ़ गई.


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