चालू वित्त वर्ष के साढ़े चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन विनिवेश के मोर्चे पर सरकार को फिलहाल कुछ खास हाथ नहीं लगा है. हालांकि सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में कई कंपनियों की हिस्सेदारी का विनिवेश करने की है. इस वित्त वर्ष में विनिवेश की कतार में 6-7 सरकारी कंपनियां शामिल हैं.
इन कंपनियों के विनिवेश की योजना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी महीने में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए विनिवेश का टारगेट सेट किया था. चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने 51 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य तय किया है. इस वित्त वर्ष के दौरान शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और वाइजैग स्टील जैसी कंपनियों का निजीकरण करने की योजना है. इनके अलावा सरकार चालू वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक की अपनी हिस्सेदारी को भी बेचना चाह रही है.
2018-19 के बाद नहीं पूरा हुआ लक्ष्य
पिछले कुछ सालों के रिकॉर्ड को देखें तो सरकार के लिए विनिवेश का लक्ष्य हासिल कर पाना आसान नहीं लग रहा है. पिछले 4 साल से सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है. आखिरी बार सरकार को विनिवेश का लक्ष्य हासिल करने में 5 साल पहले सफलता मिली थी. वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य तय किया था, जबकि उस साल सरकार 84,972 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रही थी. उसके बाद से हर साल सरकार लक्ष्य से पीछे रह जा रही है.
पिछले वित्त वर्ष में इतना था टारगेट
पिछले वित्त वर्ष में भी सरकार लक्ष्य से बहुत पीछे रह गई थी. 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने विनिवेश से 50 हजार करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट सेट किया था, लेकिन 35,294 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी. यह हाल तब हुआ था, जब सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को पिछले वित्त वर्ष के दौरान ही प्राइवेटाइज किया गया था.
पिछले साल यहां मिली सफलता
पिछले वित्त वर्ष में एयर इंडिया का कई सालों से अटकता प्राइवेटाइजेशन पूरा हुआ था और उसे टाटा समूह ने खरीद लिया था. सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ भी पिछले वित्त वर्ष के दौरान ही आया था. एलआईसी के बहुप्रतीक्षित आईपीओ में सरकार ने 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी थी. इसी तरह सरकार ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान पारादीप फॉस्फेट, आईपीसीएल और टाटा कम्यूनिकेशंस में अपनी बची-खुची हिस्सेदारी बेचने में भी सफलता पाई थी.
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