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Wheat Import: गेहूं की बढ़ती कीमतों ने किया परेशान, अगले महीने से आयात शुल्क घटा सकती है सरकार
Wheat Prices in India: देश में अभी गेहूं की आपूर्ति कम होने से कीमतें बढ़ी हुई हैं. इससे सरकार की चिंता बढ़ रही है और यही कारण है कि कीमतों को काबू करने के विभिन्न उपायों पर गौर किया जा रहा है...
![Wheat Import: गेहूं की बढ़ती कीमतों ने किया परेशान, अगले महीने से आयात शुल्क घटा सकती है सरकार Govt planning to reduce import duty from next month amid rising wheat prices in India Wheat Import: गेहूं की बढ़ती कीमतों ने किया परेशान, अगले महीने से आयात शुल्क घटा सकती है सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/24/cf16252b9e069cfba95417370929ca761719196098864685_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
घरेलू बाजार में गेहूं की बढ़ती कीमतें अब सरकार को परेशान करने लगी हैं. पहले से खाने-पीने की चीजों की बढ़ी महंगाई के चलते अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती पैदा हो चुकी है. ऐसे में गेहूं के महंगा होने से परेशानियां और बढ़ सकती हैं. इस कारण सरकार ने अगले महीने से गेहूं के आयात पर शुल्क को कम करने का फैसला किया है.
इन उपायों पर विचार कर रही सरकार
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार आयात शुल्क को घटाकर देश में गेहूं का आयात फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है. इसके अलावा सरकार गेहूं के मामले में भंडारण की सीमा यानी स्टॉक लिमिट लगाने पर भी विचार कर रही है. सरकार ओपन मार्केट ऑपरेशन सेल भी शुरू कर सकती है. रिपोर्ट में तीन अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि ये प्रयास घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए हैं.
आयात के पक्ष में गेहूं के व्यापारी
गेहूं के व्यापारी लंबे समय से आयात शुल्क को कम करने की मांग कर रहे हैं. दरअसल रूस में गेहूं का उत्पादन बढ़ने और स्टॉक जमा होने के चलते अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें नरम चल रही हैं. ऐसे में ट्रेडर्स का तर्क है कि भारत को घरेलू बाजार में आपूर्ति की दिक्कतों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम भाव का फायदा उठाना चाहिए और आयात पर ध्यान देना चाहिए.
विरोध कर सकते हैं देश के किसान
हालांकि गेहूं के आयात को आसान करने के फैसले का किसानों के द्वारा विरोध किया जा सकता है. विभिन्न किसान संगठन गेहूं के आयात को प्रतिकूल बताते आए हैं. किसानों का तर्क रहता है कि बाहरी देशों से गेहूं मंगाने से उनकी उपज को सही दाम नहीं मिल पाता है.
गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है भारत
भारत गेहूं का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके साथ ही भारत में गेहूं की खपत भी बहुत ज्यादा है. वैसे तो भारत अपनी जरूरत से ज्यादा गेहूं का उत्पादन करता है, लेकिन बीते रबी सीजन में उपज सही नहीं रही थी, जिससे गेहूं की सरकारी खरीद कम रही है. दूसरी ओर मुफ्त खाद्यान्न योजना में लगातार खपत होने से सरकार का सुरक्षित भंडार कम हुआ है. ऐसे में सरकार को अब आयात के विकल्प पर विचार करना पड़ रहा है.
6 साल पहले लगाया था आयात शुल्क
भारत ने गेंहू के आयात पर 6 साल पहले 44 फीसदी का भारी-भरकम आयात शुल्क लगाया था. इसके चलते बाहर से गेहूं मंगाना बहुत महंगा हो गया था और एक तरह से आयात लगभग बंद हो गया था. सरकार ने इस फसल वर्ष में भी गेहूं के उत्पादन को पिछले साल के स्तर के आस-पास ही 112.9 मिलियन टन पर रखा है. पिछले साल देश में गेहूं के उत्पादन में 3.8 मिलियन टन की गिरावट आई थी.
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