Indian Economy: केंद्र सरकार ने 1526 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर खर्च किए 13.60 लाख करोड़, देखें क्या है रिपोर्ट
Infrastructure Projects को लेकर बड़ी तेजी से काम चल रहा हैं. 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले 1526 प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है.
Infrastructure Projects in India 2022: भारत में पिछले कुछ सालों से बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (Infrastructure Projects) को लेकर बड़ी तेजी से काम चल रहा हैं. केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले 1526 प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है. हालांकि ये प्रोजेक्ट पूरे देशभर में चल रहे हैं. बता दें कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की लागत 21,26,460 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,61,823 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा हैं.
देखें क्या हैं रिपोर्ट
केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) की ओर से अगस्त 2022 की रिपोर्ट जारी हो गई है. देश में 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक की लागत वाले 1526 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से 393 की लागत में इजाफा हुआ है, जबकि 647 प्रोजेक्ट्स देरी से चल रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार इन 1526 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में मूल लागत 21,26,460 करोड़ रुपये आनी थी, लेकिन अब ये बढ़कर 25,91,823 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इन प्रोजेक्ट की लागत पहले के मुकाबले 21.88 प्रतिशत या 4,65,362 करोड़ रुपये बढ़ सकती है.
देखें इतना हुआ खर्च
केंद्र सरकार अब तक इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 13,60,645 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है जो कि अनुमानित लागत का 52.49 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा कि देरी से चल रहे प्रोजेक्ट की संख्या 500 तक आ जाएगी. देश में देरी से चल रहे 647 प्रोजेक्ट्स में से 132 प्रोजेक्ट्स 1 से लेकर 12 महीने, 118 प्रोजेक्ट्स 13 से लेकर 24 महीने, 273 प्रोजेक्ट्स 25 से लेकर 60 महीने और 124 प्रोजेक्ट्स 61 महीने और उससे अधिक की देरी से चल रहे हैं.
क्या हैं देरी के कारण
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी (Corona Pandemic) भी देरी के पीछे एक बड़ी वजह है.आपको बता दे कि इनमें से कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का काम समय पर पूरा नहीं हुआ हैं. रिपोर्ट के अनुसार समय बढ़ने की वजह भूमि अधिग्रहण में देरी, वन और पर्यावरण विभाग की मंजूरी प्राप्त करने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी के चलते ऐसा हुआ हैं. प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग, प्रोजेक्ट में बदलाव, निर्माण उपकरणों का देर से मिलना और कानून संबंधी परेशानियों को बताया है.
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