सरकारी बैंकों के विलय के लिए सरकार ने बढ़ाया मजबूत कदम
देश में इस समय भारतीय स्टेट बैंक समेत कुल मिलाकर 21 सरकारी बैंक है. कई मौकों पर सरकार कह चुकी है कि देश में भले ही कम बैंक हो, लेकिन जितने भी हो, वो बेहद मजबूत होने चाहिए. आज की तारीख में दुनिया के शीर्ष बैंकों में एक भी भारतीय बैंक शामिल नहीं. इसी के मद्देनजर मोदी सरकार बैंकों के विलय पर जोर दे रही है.
नई दिल्लीः सरकारी बैंकों के विलय के लिए रास्ता तैयार हो गया है. विलय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है.
देश में इस समय भारतीय स्टेट बैंक समेत कुल मिलाकर 21 सरकारी बैंक है. कई मौकों पर सरकार कह चुकी है कि देश में भले ही कम बैंक हो, लेकिन जितने भी हो, वो बेहद मजबूत होने चाहिए. आज की तारीख में दुनिया के शीर्ष बैंकों में एक भी भारतीय बैंक शामिल नहीं. इसी के मद्देनजर मोदी सरकार बैंकों के विलय पर जोर दे रही है. इसके पहले चरण मे भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों (स्टेट बैंक ऑफ पटिलाया, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर) के साथ भारतीय महिला बैंक को मिलाया जा चुका है. अब कई और छोटे बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाये जाने की खबरें हैं.
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फिलहाल, मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर प्रस्ताव के तहत वैकल्पिक व्यवस्था एक अंतर मंत्रालीय समूह है. अभी ये तय नहीं कि समूह में कौन-कौन होंगे, लेकिन उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इसके मुखिया होंगे. प्रस्तावित व्यवस्था के तहत:
- मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक हितों पर आधारित होगा.
- विलय का प्रस्ताव बैंक के निदेशक बोर्ड की ओऱ से दिया जाएगा.
- विलय का प्रस्ताव वैकल्पिक व्यवस्था के समक्ष लाया जाएगा जिसके बाद अंतिम फैसले के लिए उसे केद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा.
- अंत में भारत सरकार, रिजर्व बैंक के साथ राय-मशविरा कर विलय का औपचारिक तौर पर ऐलान करेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि विलय को लेकर कोई समय-सीमा तय नहीं की गयी है. साथ ही ये भी तय नहीं कि सभी मिलाकर कुल कितने बैंक रहेंगे. लेकिन चर्चा है कि सरकारी बैंकों की कुल संख्या ज्यादा से ज्यादा 10 तक सीमित रखने की कोशिश है और विभिन्न छोटे और मझौले सरकारी बैंकों को एक बड़े सरकारी बैंक में मिला दिया जाएगा. बहरहाल, इस बात के उम्मीद कम है कि भारतीय स्टेट बैंक में किसी और बैंक को मिलाया जाएगा.
सरकार का दावा है कि वैसे तो कम लेकिन मजबूत सरकारी बैंक रखे जाने की बात तो 1991 में ही की गयी, लेकिन इस सोच पर प्रभावी तौर पर अमल मई 2016 में हुआ जब छह बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक के साथ मिलाये जाने का फैसला हुआ. ये विलय भी रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ जबकि स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और स्टेट बैंक ऑफ इंदौर के भारतीय स्टेट बैंक में विलय में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
सरकार का ये भी कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक आज एकीकृत बैंक बन चुका है जिसकी करीब 24 हजार शाखाएं, 59 हजार से ज्यादा एटीएम, और 50 हजार से ज्यादा बिजनेस कॉरेस्पेंडेंट है. बैंक की 70 फीसदी से ज्यादा शाखाएं अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों में है.
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