केंद्र सरकार जल्दी ही बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति (National Retail Trade Policy) की घोषणा कर सकती है. इसके साथ ही जीएसटी के तहत पंजीकृत घरेलू व्यापारियों के लिए दुर्घटना बीमा योजना (Accident Insurance Scheme For Traders) का भी ऐलान किया जा सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी है.
खुदरा सेक्टर को मिलेंगे कई फायदे
खबर के अनुसार, राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति का उद्देश्य व्यापारियों को बेहतर बुनियादी संरचना तथा क्रेडिट तक आसानी से पहुंच मुहैया कराना है. खबर के अनुसार, नीति में किफायती दर पर आसानी से कर्ज की उपलब्धता सुनिश्चित करने, खुदरा व्यापार का आधुनिकीकरण व डिजिटलीकरण का रास्ता तैयार करने, डिस्ट्रीब्यूशन चेन जैसी आधुनिक बुनियादी संरचनाओं की सुविधाएं प्रदान करने, कौशल का विकास व श्रम बल की उत्पादकता बढ़ाने और शिकायतों का निवारण करने की प्रभावी व्यवस्था तैयार करने जैसे उपाय किए जा सकते हैं.
दुकानदारों को भी कई लाभ
खबर में सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, सरकार न सिर्फ ई-कॉमर्स के क्षेत्र में बदलाव करना चाह रही है, बल्कि दुकानें चलाने वाले खुदरा व्यापारियों के लिए राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति ला रही है. यह नीति कारोबार को आसान बनाने, बेहतर बुनियादी संरचनाएं मुहैया कराने, अधिक कर्ज दिलाने समेत व्यापारियों को सभी प्रकार के फायदे पहुंचाने वाली होगी.
खुदरा नीति का ये है उद्देश्य
ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति के तहत शिकायतों का निपटान करने पर खास ध्यान दिया जा सकता है. इसके तहत ट्रेडर्स के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस मैकेनिज्म की व्यवस्था की जा सकती है. इसके अलावा सेंट्रलाइज्ड एंड कंप्यूटराइज्ड इंस्पेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम भी तैयार की जा सकती है. वहीं व्यापारियों के लिए दुर्घटना बीमा को बड़ा कदम बताया जा रहा है.
तेजी से बढ़ रहा खुदरा बाजार
आपको बता दें कि भारत अभी दुनिया के सबसे तेजी से उभरते खुदरा बाजारों में से एक है. यही कारण है कि इस खुदरा स्पेस में रिलायंस इंडस्ट्रीज से लेकर टाटा समूह जैसे दिग्गज घरेलू कॉरपोरेट घराने भी बड़ा दांव लगा रहे हैं, तो दूसरी ओर अमेजन और वॉलमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हाथ से कोई मौका नहीं निकलने देना चाहती हैं. बीते सालों के दौरान भारत में ई-कॉमर्स का उभार तेजी से हुआ है और अब छोटे शहरों तक यह पहुंच चुका है. तेजी से हो रहे इन बदलावों के कारण कई सालों से राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति की मांग उठ रही है.
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