नई दिल्लीः केंद्र सरकार राज्य सरकारों को परामर्श जारी कर खान-पान के बिलों पर अनुचित तरीके से वसूले जाने वाले सेवा शुल्क को खत्म करने के लिए कहेगी. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा है कि रेस्टोरेंट्स सर्विस चार्ज वसूलना बंद करें, क्योंकि सर्विस चार्ज टैक्स नहीं केवल एक टिप है. मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्त्रां को इस बारे में सचेत कर दें.
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा, ‘‘सर्विस चार्ज जैसा कुछ नहीं है. यह गलत तरीके से वसूला जा रहा है. हमने इस मुद्दे पर एक एडवाइजरी तैयार किया है जिसे मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया है.’’ मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक बार प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिल जाने के बाद इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी कर दिया जाएगा.
मंत्रालय इस बारे में जल्द एक एडवाइजरी जारी करने की योजना बना रही है. इस साल जनवरी में सरकार ने कहा था कि होटल व रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज भरना कस्टमर के लिए जरूरी नहीं है. यह पूरी तरह कस्टमर की मर्जी पर है कि वह सर्विस चार्ज भरना चाहता है या नहीं. पासवान ने कहा कि सेवा शुल्क के बारे में ग्राहकों को मेनू कार्ड में ही जानकारी दी जानी चाहिए. रामविलास पासवान इससे पहले भी कई मौकों पर अनुचित सेवा शुल्क वसूले जाने के खिलाफ बोल चुके हैं और रेस्तरां एसोसिएशन से इस बारे में सफाई भी मांग चुके हैं. उपभोक्ता इससे पहले जनवरी में ही कह चुका है कि खाने के बिलों में सेवा शुल्क वसूला जाना जरूरी नहीं है और संतुष्ट नहीं होने पर ग्राहक इसे हटाने के लिये कह सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यह परामर्श उन स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के लिए भी उपयोगी होगा जो उपभोक्ता अधिकारों के लिए लड़ते हैं. "किसी भी उपभोक्ता को सेवा शुल्क चुकाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. यदि ग्राहक चाहे तो वह होटल कर्मी को टिप दे सकते हैं या सेवाशुल्क बिल में ही वसूलने के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि बिना ग्राहक की अनुमति के सेवा शुल्क वसूली उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनुचित व्यापार प्रक्रिया मानी जाएगी.
सरकार ने मांगा था जवाब
उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने इस मामले में जनवरी में होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सफार्इ मांगी थी. नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एन.आर.ए.आई.) ने कहा था कि रेस्टोरेंट की तरफ से सर्विस चार्ज वसूलने का कानूनी आधार है. अगर कोई कस्टमर सर्विस चार्ज नहीं भरना चाहता, तो उनके पास ऑप्शन है कि वह उन होटलों में न खाएं, जहां सर्विस चार्ज मांगा जाता हो.
इससे पहले जनवरी में भी सरकार की तरफ से उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि होटल, कंपनी और रेस्त्रां चलाने वाले सर्विस चार्ज देने के लिए ग्राहकों को बाध्य नहीं कर सकेंगे. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्त्रां ग्राहकों से जबर्दस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता.