नई दिल्लीः सरकार चालू कारोबारी साल यानी 2017-18 के दौरान 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी करेगी. अब ऐसे में फिस्कल डेफिसिट यानी सरकारी खजाने का घाटा बढ़ने का खतरा है.
क्यों अतिरिक्त उधारी
वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी से कमाई में कमी की खबर आने के 24 घंटे के भीतर सरकार ने रिजर्व बैंक से राय मशविरा कर अतिरिक्त उधारी का फैसला किया. दरअसल, सरकार को कर से कमाई में 55 हजार करोड़ रुपये की कमी का अंदेशा है. इसमें प्रत्यक्ष कर यानी डायरेक्ट टैक्स (इनकम टैक्स यानी आयकर, कॉरपोरेट टैक्स यानी निगम कर वगैरह) से कमाई में 20 हजार करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स (कस्टम ड्यूटी यानी सीमा शुल्क और वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी) से कमाई में 35 हजार करोड़ रुपये तक की कमी शामिल है.
मंगलवार को ही जीएसटी से कमाई के ताजा आंकड़े सरकार ने जारी किए. इसके मुताबिक नवम्बर के महीने के लिए 25 दिसंबर तक कुल मिलाकर 80,808 करोड़ रुपये बतौर जीएसटी हासिल हुए. पहली जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद गिरावट का ये लगातार दूसरा महीना था. जानकारों की माने तो आगे भी स्थिति में कुछ खास सुधार होता नहीं दिख रहा. ऐसे में सरकार के पास उधारी बढ़ाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचता.
उधारी के माध्यम
वैसे वित्त मंत्रालय की ओऱ से बयान में कहा गया है कि ट्रेजरी बिल से उधारी में कमी की जा रही और डेटेड सिक्यूरिटीज से उधारी बढ़ायी जा रही है. लिहाजा बजट के मुताबिक तय विशुद्ध उधारी में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. सरकार ने चालू कारोबारी साल के दौरान कुल मिलाकर 5.80 लाख करोड़ रुपये की उधारी का लक्ष्य रखा है जबकि कुछ कर्ज चुकता करने के बाद विशुद्ध उधारी का लक्ष्य 4.23 लाख करोड़ रुपये के करीब होगा. अनुपात में बात करें तो बजट में सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट चालू कारोबारी साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 3.2 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य है.
सरकारी खजाने के घाटे को पाटने के लिए ही उधारी लिया जाता है. उधारी के मुख्य तौर पर दो माध्यम है, ट्रेजरी बिल और डेटेड सिक्यूरिटीज. ट्रेजरी बिल साल भर से कम के मियाद के होते हैं. इनपर कोई ब्याज नहीं दिया जाता. लेकिन सम मूल्य (फेस वैल्यू) से कम पर जारी किए जाते हैं और बाद में भुगतान सम मूल्य पर किया जाता है. यही अंतर कमाई है. दूसरी ओर डेटेड सिक्यूरिटीज की मियाद एक साल से लेकर 40 साल तक के लिए हो सकती है. इन पर ब्याज मिलता है और इनकी बाजार में शेयरों की तरह खरीद-बिक्री की जाती है.
फिस्कल डेफिसिट पर असर
अब अगर सरकार बजटीय लक्ष्य के मुताबिक, कारोबारी साल के बाकी बचे तीन महीनों में कमाई कर लेती है तो फिस्कल डेफिसिट को 3.2 फीसदी तक सीमित करना संभव हो सकेगा. लेकिन आमदनी मे ज्यादा बढ़ोतरी के संकेत दिख नहीं रहे. अगर ऐसा हुआ तो फिस्कल डेफिसिट 3.2 फीसदी के बजाए 3.5 फीसदी तक पहुंच सकता है. फिस्कल डेफिसिट में बढ़ोतरी के आशंका के मद्देनजर शेयर बाजार में कुछ गिरावट दिखी औऱ सेंसेक्स करीब सौ प्वाइंट व निफ्टी 40 प्वाइंट गिरा. दूसरी ओर सरकारी बांड पर यील्ड (आमदनी) के आसार हैं और ये बढ़ोतरी गुरुवार को कारोबार के दौरान दिखेगा.