Adani Group Stocks: बुरे समय में दिखाया भरोसा, साल भर में अडानी ने दिया 5 गुना रिटर्न
GQG Partners Earning: अडानी समूह के शेयरों में पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारी गिरावट आई थी. जीक्यूजी पार्टनर्स ने उसी समय अपना पहला निवेश किया था...
अडानी समूह पर बुरे समय में भरोसा दिखाना जीक्यूजी पार्टनर्स के लिए बड़े फायदे का सौदा साबित हुआ है. इन्वेस्टमेंट फर्म को अडानी के शेयरों में करीब साल भर पहले किए गए निवेश पर 5 गुना रिटर्न मिल चुका है.
ऐसे अडानी पर आई थी मुश्किल
भारतीय मूल के राजीव जैन की इन्वेस्टमेंट फर्म ने अडानी समूह के शेयरों में ऐसे समय निवेश किया था, जब अडानी के शेयरों में चौतरफा बिकवाली हो रही थी. पिछले साल जनवरी में अडानी समूह को लेकर अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक विवादास्पद रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में अडानी समूह के ऊपर स्टॉक प्राइस को प्रभावित करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. उसके बाद अडानी समूह के शेयरों में ऐसी बिकवाली आई थी कि समूह की कई कंपनियों की वैल्यू आधी से भी कम हो गई थी.
इन 4 शेयरों में किया था मोटा निवेश
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद जब अडानी के शेयरों पर रोज लोअर सर्किट लग रहा था, उसी दौरान जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडानी के शेयरों में बड़ा निवेश किया था. जीक्यूजी पार्टनर्स के द्वारा अडानी के शेयरों में पहला निवेश मार्च 2023 में आया था. उस समय जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडानी समूह की 4 कंपनियों अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी ट्रांसमिशन में निवेश किया था.
बढ़कर इतना हो चुका है निवेश
अडानी के शेयरों में जीक्यूजी पार्टनर्स का पहला निवेश 15,446 करोड़ रुपये (1.9 बिलियन डॉलर) का था. वह निवेश अब तक बढ़कर 5 गुने से ज्यादा हो चुका है, जबकि अभी निवेश को एक साल पूरे नहीं हुए हैं. फंड मैनेजर सुदर्शन मूर्ति ने हाल ही में ब्लूमबर्ग को बताया है कि मार्च 2023 में किए गए निवेश के समय से अब तक शेयरों के चढ़े भाव और अतिरिक्त निवेश को मिलाकर जीक्यूजी पार्टनर्स का शुरुआती निवेश बढ़कर 10 बिलियन डॉलर हो चुका है. यह करीब 430 फीसदी की जबरदस्त ग्रोथ है.
सही साबित हुआ राजीव जैन का भरोसा
जीक्यूजी पार्टनर्स के राजीव जैन ने जब अडानी समूह के शेयरों में शुरुआती निवेश किया था, तब उन्हें भी सवालों का सामना करना पड़ा था. हालांकि राजीव जैन को अपने फैसले पर पूरा भरोसा था. उन्होंने उस समय सवालों के जवाब में कहा था कि अडानी समूह के शेयरों पर उनकी नजर पहले से थी. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के चलते उनको अडानी के शेयरों का सौदा सस्ते में मिल गया. साल भर में उन्हें जिस हिसाब से रिटर्न मिला है, वह राजीव जैन के भरोसे को सही साबित करता है.
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