Greedflation: क्या है 'ग्रीडफ्लेशन' जिसकी चपेट में हैं ब्रिटेन के बाजार, कंपनियां फायदा बना रही पर लोग हुए परेशान
Greedflation Effect: ब्रिटेन इन दिनों 'ग्रीडफ्लेशन' की चपेट में है. इसके चलते महंगाई की मार झेल रही जनता परेशान है. यदि कंपनियों की इस पॉलिसी पर रोक नहीं लगाई गई तो आगे स्थितियां और खराब हो सकती हैं.
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Greedflation Effect: ब्रिटेन इन दिनों 'ग्रीडफ्लेशन' की चपेट में है. इसके चलते महंगाई की मार झेल रही जनता परेशान है. ब्रिटेन की कम्पटीशन एंड मार्केट्स अथॉरिटी (CMA) ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए तेजी से बढ़ते इस ट्रेंड पर चिंता जताई है. आइए समझते हैं ये ग्रीडफ्लेशन आखिर क्या बला है.
क्या है ग्रीडफ्लेशन
सीएमए ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार ब्रिटेन में कंपनियां तेजी से ग्रीडफ्लेशन को बढ़ावा दे रही हैं. इसके चलते दैनिक उपभोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं और लोगों की जेब पर तगड़ी चोट लग रही है. सीएमए के मुताबिक देश में काम कर रही बड़ी ग्रॉसरी कंपनियां अनावश्यक रूप से विभिन्न उत्पादों की कीमतों में इजाफा करती जा रही हैं. जबकि उनकी लागत इतनी नहीं बढ़ी है. इसे अथॉरिटी ने ग्रीडफ्लेशन का नाम दिया है. यानि बेवजह बढ़ी हुई लागत दिखाकर अतिरिक्त मुनाफा कमाना.
महंगाई का असर बताकर बढ़ाती हैं दाम
ग्रीडफ्लेशन को ग्रीड (लालच) और इंफ्लेशन (महंगाई) को मिलाकर बनाया गया है. जब कंपनियां बिना किसी जरूरत के नकली तरीके से कीमतों में इजाफा करने लगती हैं तो उसे ग्रीडफ्लेशन कहा जाता है. कंपनियां इसे महंगाई का असर बताती हैं और इसके नाम पर अतिरिक्त मुनाफा बनाती हैं. मगर, मुनाफा कमाने के इस गलत तरीके का उपभोक्ताओं पर बहुत बुरा असर पड़ता है. उन्हें महंगाई बढ़ने के नाम पर अतिरिक्त पैसा चुकाना पड़ता है जबकि महंगाई उतनी बढ़ी हुई नहीं होती है.
दो तिहाई ब्रांडों ने बढ़ाईं बेतरतीब कीमतें
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो साल में लगभग दो तिहाई ब्रांडों ने ग्रीडफ्लेशन को बढ़ावा दिया. इनमें बच्चों के उत्पाद बनाने वाली, बेक्ड बींस, मेयोनीज और पालतू जानवरों के फ़ूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों ने बिना वजह कीमतें बढ़ाईं और खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में इजाफा कर दिया.
बिजली, गैस और फर्टिलाइजर की वजह से भी बढ़े दाम
हालांकि, रिपोर्ट से पता चला है कि फ़ूड और ग्रॉसरी सेगमेंट में कीमतें बढ़ने की वजह बिजली, गैस और फर्टिलाइजर की बढ़ते रेट भी हैं. इसका असर कंपनियों पर पड़ा है. मगर, इसके अनुपात में उन्होंने काफी ज्यादा रेट बढ़ाए हैं. सीएमए ने कहा कि यह ग्रीडफ्लेशन का ही असर है. इससे लोगों का बजट खराब हुआ है. अथॉरिटी ने 10 कैटेगरी में इसकी जांच की जिसमें पता चला कि पिछले दो साल में बेबी मिल्क के दाम 25 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. यही वजह है कि ब्रिटेन में महंगाई दर ऐतिहासिक रूप से बढ़ी हुई है. अक्टूबर, 2023 में यह 10.1 फीसदी पर थी. सीएमए ने कहा कि ब्रिटिश सरकार को जल्द ही इस ग्रीडफ्लेशन को लेकर कड़े नियम बनाने होंगे वर्ना संकट आ सकता है.
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