Innovative energy efficient technologies in cooling: बदलती अर्थव्यवस्था में रोजगार के नए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। अगर Cooling Sector में अल्टरनेटिव और इनोवेटिव एनर्जी एफिशिएंटट टेक्नोलॉजिज का इस्तेमाल किया जाए तो इससे 2040 तक न सिर्फ 1.6 लाख करोड़ डॉलर निवेश के द्वार खुलेंगे, बल्कि 37 लाख नौकरियों के सृजन की संभावना है। विश्व बैंक ने ‘क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट अपॉर्च्यूनिटीज इन इंडियाज कूलिंग सेक्टर’ नामक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है।


किन क्षेत्रों में बदलाव की जरूरत


बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन, कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेंट में भारत में बड़े पैमाने पर कूलिंग का इस्तेमाल होता है। अभी पुरानी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से न सिर्फ प्रदूषण होता है, बल्कि यह काफी महंगा भी पड़ता है।


ग्रीन कूलिंग मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है भारत


विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि Cooling Sector के लिए सस्टेनेबल प्लान बनाए जाने की जरूरत है। इससे 2040 तक हर साल 30 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड कम किया जा सकता है। साथ ही भारत की Cooling Sector रणनीति से जिंदगियां और रोजगार बचाने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे न सिर्फ कार्बन से होने वाला प्रदूषण कम  होगा बल्कि ग्रीन कूलिंग मैन्युफैक्चरिंग में भारत ग्लोबल हब बन सकता है।


नए इनवेस्टमेंट को करना होगा सपोर्ट


वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में प्रमुख क्षेत्रों में नए इन्वेस्टमेंट को सपोर्ट करने का खाका भी पेश किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत को बिल्डिंग व कंस्ट्रक्शन, कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेंट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही कूलिंग टेक्नोलॉजिज में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे कि सेंट्रल प्लांट्स में ठंडा पानी तैयार किया जा सके और इसे अंडरग्राउंड इंसुलेटेड पाइप कई इमारतों में भेजा जा सके। विश्व बैंक के मुताबिक इससे एनर्जी बिल में 30 प्रतिशत तक की कमी आएगी।


कम होगी खाद्य पदार्थों की बर्बादी


रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी सस्ते आवास की योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में इस तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है, जिससे 4 करोड़ मकानों को लाभ होगा। रिपोर्ट के मुताबिक इससे ट्रेंड टेक्नीशियन की 20 लाख नौकरियां अगले 2 साल में आएंगी और रेफ्रिजरेंट्स की डिमांड करीब 31 प्रतिशत कम हो जाएगी। प्री कूलिंग और रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट में इन्वेस्टमेंट करने से खाद्य पदार्थों की बर्बादी 76 प्रतिशत कम की जा सकती है और कार्बन उत्सर्जन 16 प्रतिशत कम किया जा सकता है।