रोजगार की उम्मीद लगाए लोगों के लिए बड़ा झटका, अभी नहीं सुधरेंगे हालात
रोजगार के लिहाज से यह पिछले 15 साल की खराब स्थिति है. आगे भी इसमें बहुत ज्यादा सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती
कोरोनावायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लगे लंबे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर बिल्कुल तोड़ दी है. आर्थिक गतिविधियों के बेहद धीमी पड़ जाने का सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पड़ा है. बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां गई हैं और अगले कुछ महीनों में भी हालात सुधरते नहीं दिखते. ताजा बहालियों की रफ्तार भी बेहद धीमी रहने वाली है. कंपनियां जुलाई-सितंबर तिमाही में भी भर्तियों की रफ्तार तेज नहीं करने जा रही. सिर्फ पांच फीसदी कंपनियों ही नए लोगों की भर्ती करेगी.
15 साल का सबसे खराब हाल
मैनपावर ग्रुप ने आने वाले दिनों में रोजगार बाजार से जुड़े सर्वे में कहा है कि अगली तिमाही में काफी कम भर्तियां होंगी. फाइनेंस, इंश्योरेंस, माइनिंग, कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर ही रोजगार की स्थिति तय करेंगे. सर्वे से पता चला है कि सिर्फ पांच फीसदी कंपनियां नई भर्तियों की योजना बना रही हैं. रोजगार के लिहाज से यह पिछले 15 साल की खराब स्थिति है. हालांकि भारत दुनिया के उन 44 देशों में शामिल है, जहां रोजगार को लेकर रुख सकारात्मक बना हुआ है. जापान, चीन और ताइवान भी रोजगार को लेकर सकारात्मक है. मैनपावर ने देश के 695 एंप्लॉयर के बीच यह सर्वे किया है.
मैन्यूफैक्चरिंग जोर पकड़े तो कुछ सुधरेंगे हालात
नौकरी डॉट.कॉम के एक सर्वे में कहा गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से मई में रोजगार से जुड़ी एक्टिविटी में 61 फीसदी की गिरावट आई है. यह लगातार दूसरा महीना है, जब रोजगार के अवसरों में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट रही.
हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में कामगारों की बहाली जोर पकड़ सकती है. मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों के रफ्तार पकड़ते ही फैक्टरियों में काम करने वाले कामगारों की जरूरत बढ़ेगी और लोगों की भर्तियों में इजाफा होगा. बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों के घर लौटने से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में कामगारों की कमी हो गई है. कई कंपनियां इन्हें ज्यादा वेतन और इन्सेंटिव का ऑफर देकर बुला रही हैं.