GST 7 Years: वस्तु और सेवा कर या गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को देशभर में लागू हुए 7 साल हो गए हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 1 जुलाई 2017 को इसे लागू किया गया था. इस जीएसटी के अंदर 17 लोकल टैक्स और चार्ज समाहित किए गए थे. 


वित्त मंत्रालय ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लेकर लिखा है कि...जीएसटी ने इनडायरेक्ट टैक्स इकोसिस्टम सुधार से लचीलेपन में बदल दिया है और टैक्सपेयर्स, अन्य हितधारकों और आम जनता को फायदा पहुंचाया है. #7yearsofGST 






बीती जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दोहराया कि मैं टैक्सपेयर्स को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि हमारा इरादा जीएसटी टैक्सपेयर्स की जिंदगी को आसान बनाना है. इससे पहले भी इसको लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए लिख चुकी हैं- "केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक आटा, सौंदर्य प्रसाधन, टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर आदि सहित अधिकांश घरेलू सामान जीएसटी के दायरे में आने के बाद सस्ते हो गए हैं."




बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन सात सालों में आम लोगों के इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं पर टैक्स में आई कमी के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था. इस पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम आदमी को जीएसटी से हुए फायदों के बारे में जानकारी दी थी.






पीएम मोदी ने लिखा कि जीएसटी के जरिए सुधार हमारे लिए 140 करोड़ भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने का एक साधन है. जीएसटी लागू होने के बाद घरेलू उपयोग का सामान काफी सस्ता हो गया है. इससे गरीबों और आम आदमी को काफी बचत हुई है. हम लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए आगे भी इन सुधारों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


पीएम मोदी ने इसके साथ जो डाटा लगाया, उसके मुताबिक सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम (सीबीआईसी) के आंकड़ों की मानें तो जीएसटी लागू होने के बाद आटा, कॉस्मेटिक, टेलीविजन, रेफ्रिजरेट सहित ज्यादातर घरेलू सामान सस्ते हो गए हैं. वहीं, इस तरह से घरेलू सामान के सस्ता होने से लोगों पर आर्थिक बोझ कम हो गया है और लोगों की बचत करने की क्षमता में भी सुधार हुआ है.


जीएसटी के जरिए कैसे हुआ टैक्स सिस्टम आसान


जीएसटी देश में एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. इसने 17 लोकल टैक्स और 13 सरचार्ज को फाइव लेयर सिस्टम में व्यवस्थित किया, जिससे टैक्स सिस्टम आसान हो गया. इसके तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबार की सीमा गुड्स के लिए 40 लाख रुपये और सर्विसेज के लिए 20 लाख रुपये हो गई. वैट के तहत यह सीमा औसतन पांच लाख रुपये से ऊपर थी.


जीएसटी से मिले कई फायदे



  • सात साल पहले पेश किए गए जीएसट ने टैक्स कंप्लाइंस को आसान बनाया है और इससे टैक्स कलेक्शन बढ़ा जिससे राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई.

  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी ने टैक्स उछाल को बढ़ाकर साल 2018-23 के दौरान 1.22 पर कर दिया है जो जीएसटी से पहले 0.72 पर था. मुआवजा खत्म होने के बावजूद राज्यों का टैक्स उछाल 1.15 पर बना हुआ है.

  • जीएसटी के बाद राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है वरना जीएसटी के बिना वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता. 

  • साल 2017 से लागू होने के बाद औसत जीएसटी दर में लगातार गिरावट आई है और जीएसटी ने कई जरूरी चीजों पर टैक्स को जीएसटी से पहले की तुलना में कम कर दिया है.

  • हेयर ऑयल और साबुन जैसी आम वस्तुओं पर कर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया. इलेक्ट्रिक अप्लायंसेज पर टैक्स 31.5 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया. जीएसटी ने कई जरूरी वस्तुओं और सेवाओं को छूट दी है, जैसे बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थ, कुछ लाइफ सेविंग मेडिसिन, हेल्थ केयर, एजूकेशन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सैनिटरी नैपकिन, हियरिंग एड्स के पार्ट्स, एग्रीकल्चर सर्विसेज आदि.

  • जीएसटी अपैलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना होने से इंडस्ट्री के लिए विवाद समाधान प्रक्रिया आसान और तेज होने की उम्मीद है.


जीएसटी की उलब्धियां


जीएसटी ने राज्यों में 495 अलग-अलग औपचारिकताओं जैसे चालान, फॉर्म, घोषणाएं वगैरह को भी घटाकर सिर्फ 12 कर दिया है. पिछले सात सालों में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 65 लाख से बढ़कर 1.46 करोड़ हो गई है. जीएसटी से एवरेज मंथली रेवेन्यू बढ़कर 2024-25 में लगभग 1.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है. ये काफी अच्छी ग्रोथ कही जा सकती है क्योंकि साल 2017-18 में लगभग 90,000 करोड़ रुपये रही थी.


जीएसटी की राह में अभी भी चुनौतियां


वित्तीय जानकारों का मानना है कि दूसरी ओर टैक्स चोरी करने वाले सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए नए-नए तरीके खोज रहे हैं. टैक्स अधिकारी फर्जी चालान बनाने और फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की घटनाओं से जूझ रहे हैं. फर्जी चालान और धोखे से रजिस्ट्रेशन की घटनाएं अभी भी टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं.


वर्ष 2023 में जीएसटी खुफिया निदेशालय (डीजीजीआई) ने 1.98 लाख करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी का पता लगाया. इसके अलावा सरकारी खजाने को चूना लगाने में शामिल 140 साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया.  इसके जरिए ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो, इंश्योरेंस और सेकंडमेंट जैसे अलग-अलग सेक्टर में महत्वपूर्ण जीएसटी चोरी का पता चला.


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