नई दिल्लीः सरकार ने 29 तरह के सामान और 53 तरह की सेवाओं पर वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी कम कर दी है. जीएसटी काउंसिल की 25 वीं बैठक में हुए फैसले के मुताबिक, 25 जनवरी से 20 लीटर वाला बोतलबंद पानी, टॉफी, मेंहदी, हीरा और बहुमूल्य धातु वगैरह सस्ते हो जाएंगे. दूसरी ओर सेवाओं के मामले मे सबसे ज्यादा फायदा इंदिरा आवास योजना में घर खरीदने वालों को तो होगा ही, थीम पार्क या वाटर पार्क में जाना सस्ता पड़ेगा.. दरों में कटौती की वजह से जीएसटी से होने वाली कमाई में सालाना आधार पर करीब हजार से 12 सौ करोड़ रुपये का नुकसान होगा.


इसी के साथ बैठक में रिटर्न की व्यवस्था सरल करने पर भी केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनती दिखायी दी. प्रस्तावित व्यवस्था के तहत तीन के बजाए सिर्फ एक रिटर्न फॉर्म होगा. इस बारे मे अंतिम फैसला काउंसिल की अगली बैठक में लिया जाएगा. दूसरी ओर बैठक में कंपोजिशन स्कीम के तहत जीएसटी से बहुत ही कम कमाई पर चिंता जतायी गयी है. अब इस मामले में सख्ती के संकेत दिए गए हैं.


दर में कमी


बैठक में हुए फैसले के मुताबिक,




  • 20 लीटर वाले बोतलबंद पानी और टॉफी पर जीएसटी की दर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी होगी.

  • बॉयो डीजल और विभिन्न तरह के जैविक खादों पर भी जीएसटी की दर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी होगी.

  • खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के मकसद से ही ड्रिप इरीगेशन के उपकरणों और छिड़काव करने वाले यंत्रों पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दी गयी है.

  • कोन में आने वाले मेंहदी और इमली चूर्ण पर जीएसटी की दर 18 फीसदी के बजाए 5 फीसदी होगी.

  • निजी कंपनियों की ओऱ से उपलब्ध करायी जाने वाले घरेलू रसोई गैस यानी एलपीजी पर जीएसटी की दर 18 फीसदी के बजाए 5 फीसदी होगी.

  • हीरे और बहुमूल्य धातुओं पर जीएसटी की दर 3 के बजाए 0.25 फीसदी होगी.

  • विभूति पर जीएसटी नहीं लगेगा. श्रवण यंत्र के उपकरणों पर भी जीएसटी नहीं लगेगा.

  • एंबुलेंस पर 15 फीसदी के दर से लगने वाले सेस को हटा दिया गया है

  • सार्वजनिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले बॉयो गैस बस पर जीएसटी की दर 28 फीसदी के बजाए 18 फीसदी होगी.

  • पुराने वाहनों की बिक्री में डीलर मार्जिन पर जीएसटी की दर 28 फीसदी के बजाए 18 फीसदी होगी. बस शर्त ये है कि डीलर ने इन वाहनों पर चुकाए कर के बदले में इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया है.

  • सेवाओं की बात करे तो सूचना के अधिकार के तहत दी जाने वाली सेवा पर जीएसटी नहीं लगेगा.

  • टेलरिंग पर जीएसटी की दर 18 फीसदी के बजाए 5 फीसदी होगी.

  • थीम पार्क, वाटर पार्क, जॉय राइट, मेरी गो राउंड, गो कार्टिंग और बैलेट के लिए मुहैया करायी जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी की दर 28 फीसदी के बजाए 18 फीसदी होगी.

  • रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर सेवाओं पर जीएसटी तभी लगेगा जब सदस्य साढ़े सात हजार रुपये हर महीने मेंबरशिप फीस देते हैं. पहले ये सीमा 5000 रुपये थी.

  • प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 वर्गमीटर तक के क्षेत्र में बनने वाले घर पर जीएसटी की रियायती दर होगी.


रिटर्न की सरल व्यवस्था


बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच इस बात पर सहमति बनती दिख ही है कि आगे चलकरतीन रिटर्न फॉर्म के बजाए एक ही रिटर्न फॉर्म हो. इसके लिए केवल बिक्री से जुड़े बिल की एंट्री करनी होगी. एक की बिक्री, दूसरे के लिए खरीद है, इस तरह बिलों का मिलान हो सकेगा. गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य इस विकल्प के पक्ष में है, क्योंकि वहां पर इस तरह की व्यवस्था पहले से ही लागू है. सिस्टम में बिल का ब्यौरा डालने के एक निश्चित समय बाद सुधार का मौका मिलेगा. इस पूरे प्रस्ताव को मंत्रियों का एक समूह अंतिम रुप देगा. जिसके बाद जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में फैसला लिया जाएगा. साथ ही अभी स्वैच्छिक तौर पर खरीद-बिक्री के आंकड़े से जुड़ी जानकारियों के लिए फॉर्म 3बी की व्यवस्था जारी रहेगी.


अभी के समय में रिटर्न फॉर्म के तीन हिस्से हैं जिसमें से पहला (जीएसटीआर 1) व्यापारी-कारोबारी को दाखिल करना होता है जबकि बाकी दो (जीएसटीआर 2 व जीएसटीआर 3) कंप्यूटर जारी कर देता है. इसके अलावा तय सीमा से कम कारोबार करने वालों के लिए बिलों के मिलान को कुछ समय तक टाले जाने की सूरत में जीएसटीआर 3बी फॉर्म भरने की सुविधा दी गयी. व्यापारियों-कारोबारियों की राय में रिटर्न की मौजूदा व्यवस्था जटिल है और लोगो की परेसानी हो रही है. हालांकि सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा लगातार बढाती रही है, फिर भी रिटर्न जमा करने वालों की संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है.


फिलहाल, सूत्रों ने ऐसी अटकलो को खारिज कर दिया कि रिटर्न की मौजूदा व्यवस्था में लोगो को भारी संख्या में बिल जमा कराने होते हैं. एक सर्वे के मुताबिक, कुल मिलाकर 1.5 करोड़ कारोबारी-व्यापारियों ने रिटर्न दाखिल किया है जिसमें से 92 फीसदी के रिटर्न में हर महीने अपलोड किए जाने वाले बिल की संख्या सिर्फ 50 रही, यानी एक दिन का दो से भी कम.


कंपोजिशन स्कीम
बैठक में इस बात पर चिंता जतायी गयी कि कंपोजिशन स्कीम के नतीजे बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. 20 लाख से ज्यादा लेकिन 1.5 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले कंपोजिशन स्कीम का फायदा उठा सकते हैं. कंपोजिशन स्कीम में केवल 1 फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है, जबकि रेस्त्रां के मामले में ये दर 5 फीसदी है. इस स्कीम में शामिल होने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलता. इस स्कीम में भाग लेने वालों को तीन महीन में एक बार रिटर्न दाखिल करना होता है, वहीं 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना कारोबा करने वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता है.


बहरहाल, स्कीम के तहत कुल मिलाकर 17 लाख रिटर्न दाखिल किए गए और महज 307 करोड़ रुपये का टैक्स आया. यानी औसतन 5 लाख रुपये. आशंका है कि यहां कारोबारी-व्यापारी टैक्स चोरी कर रहे हैं. इशी को देखते हुए कंपोजिशन स्कीम के तहत रिवर्स चार्ज मैकानिज्म (आरसीएम) को शुरु किए जाने पर विचार किया जा रहा है. आरसीएम के तहत गैर पंजीकृत कारोबारी-व्यापारी अगर पंजीकृत व्यापारी से सामान खऱीदते हैं तो गैर पंजीकृत व्यापारियो की टैक्स देनदारी चुकाने की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यापारी की होती है. सरकार का मानना है कि आरसीएम की बदौलत कारोबार पर पैनी नजर रखना संभव हो सकेगा औऱ कर चोरी रोकी जा सकेगी.


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