GST Council: जानें, कैसे पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद IIT समेत दूसरे शैक्षणिक रिसर्च संस्थाओं को जीएसटी काउसिंल से मिली राहत?
GST Council Meeting Update: प्रधानमंत्री मोदी ने खुद शैक्षणिक संस्थानों और रिसर्च सेंटर्स को जीएसटी नोटिस भेजे जाने पर हैरानी जताई जिसके बाद काउसिंल ने ये बड़ा फैसला लिया है.
GST Council Meeting: केंद्र और राज्य सरकार के कानून से बने यूनिवर्सिटी या शैक्षणिक संस्थान या रिसर्च संस्थान को जीएसटी काउंसिल की बैठक में बड़ी राहत मिली है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया है कि काउंसिल ने निर्णय लिया है कि कोई यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर्स जो राज्यों या केंद्र सरकार के कानून से बना है अगर ये संस्थाएं सरकार या निजी क्षेत्र से फंड हासिल करती हैं तो उन्हें इस फंड पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा.
आईआईटी दिल्ली को मिला नोटिस
दरअसल पिछले महीने ये खबर आई थी कि आईआईटी दिल्ली समेत विभिन्न अन्य शैक्षणिक संस्थान जो रिसर्च में जुटी है उन्हें रिसर्च के लिए फंड पर जीएसटी का भुगतान के लिए नोटिस मिला है. इन बड़े शैक्षणिक संस्थानों को मिले जीएसटी नोटिस के बाद वित्त मंत्रालय की भारी आलोचना हो रही थी. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) ने आईआईटी दिल्ली समेत कुल सात संस्थानों को टैक्स डिमांड का नोटिस भेज दिया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने लिया संज्ञान
वित्त मंत्री ने बताया कि इस जीएसटी नोटिस का संज्ञान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लिया. वित्त मंत्री ने बताया कि, प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनसे कहा आप बजट में अनुसंधान कोष की घोषणा करती हैं, आपने रिसर्च के लिए फंड बनाया है. इसमें जीएसटी का क्या मामला बन गया? वित्त मंत्री ने बताया, प्रधानमंत्री ने उन्हें खुद जीएसटी काउसिंल की बैठक में ये प्रस्ताव लाने का आदेश दिया कि इन रिसर्च संस्थानों को मिले फंड पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा. वित्त मंत्री ने बताया प्रधानमंत्री के इस आदेश पर, मैंने खुद जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये प्रस्ताव दिया कि यूनिवर्सिटी या रिसर्च संस्थान को सरकार या निजी क्षेत्र जहां से भी फंड मिलेगा उसपर उन्हें जीएसटी से छूट देनी चाहिए और पूरी जीएसटी काउंसिल ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
टैक्स टेररिज्म के आरोपों को किया खारिज
दरअसल आईआईटी दिल्ली को भेजे गए नोटिस में डीजीजीआई ने 120 करोड़ रुपये की डिमांड की है, जिसमें टैक्स के बकाए समेत ब्याज और जुर्माना शामिल है. यह मामला इसलिए भी विवादों में आ गया क्योंकि बकाए का नोटिस आईआईटी दिल्ली को मिले रिसर्च ग्रांट के लिए भेजा गया है. डीजीजीआई ने आईआईटी दिल्ली को साल 2017 से 2022 के बीच मिले रिसर्च ग्रांट को लेकर शो कॉज नोटिस भेजा था. नोटिस में आईआईटी दिल्ली को 30 दिनों का समय दिया गया है और उससे पूछा गया है कि संबंधित ग्रांट पर पेनल्टी समेत टैक्स क्यों नहीं वसूला जाना चाहिए. इस नोटिस को कई जानकारों ने टैक्स टेररिज्म की संज्ञा दे दी. जिस पर वित्त मंत्री को निर्मला सीतारमण को सफाई देना पड़ा. वित्त मंत्री ने कहा, मैं जिम्मेदारी से साथ कह सकती हूं कि ये ये टैक्स टेररिज्म की कोशिश नहीं थी. उन्होंने बताया कि कुल अलग अलग राज्यों में सात संस्थानों को संस्थानों को नोटिस गया है.
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