GST काउसिंल की बैठक 22 जून को, चुनावी झटकों के बाद क्या कम होगा टैक्स का बोझ!
GST Rates: जीएसटी काउसिंल की ये बैठक जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से पहले होने जा रही है. ऐसे में वित्त मंत्री सीतारमण राज्यों के मुख्यमंत्री के सुझाव लेंगी जिसे बजट में शामिल किया जा सके.
GST Council Meeting: केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 22 जून 2024 को पहली जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाई गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की ये 53वीं बैठक होगी जो नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी. नए वित्त वर्ष 2024-25 के पहले दो महीने अप्रैल और मई में जीएसटी कलेक्शन में जोरदार उछाल देखने को मिला है. अप्रैल महीने में जीएसटी कलेक्शन पहली बार 2 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया.
चुनावी मुद्दा बना जीएसटी
जीएसटी काउंसिल की ये बैठक बहुत महत्वपूर्ण रहने वाली है. क्योंकि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अपने दम पर केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में नाकाम रही है. सहयोगियों के समर्थन से सरकार चल रही है. चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने मौजूदा जीएसटी सिस्टम को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस ने तो अपने मैनिफेस्टो जीएसटी 2.0 लाने का वादा किया था. चुनावी नुकसान के बाद मोदी सरकार पर भी जीएसटी रेट्स के सरलीकरण के साथ टैक्स का बोझ घटाने का दबाव है.
The 53rd meeting of the GST Council will be held on 22nd June, 2024 at New Delhi.
— GST Council (@GST_Council) June 13, 2024
2 महीने में 4 लाख करोड़ के करीब GST वसूली
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले ही महीने में जीएसटी कलेक्शन पहली बार 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए 2.10 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा. 1 जुलाई 2017 से शुरू हुए जीएसटी के दौर में ये पहला मौका था जब 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जीएसटी वसूली में सफलता मिली है. मई महीने में 1.73 लाख करोड़ जीएसटी कलेक्शन रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चुनावी नुकसान के बाद सरकार जीएसटी रेट्स में बदलाव करेगी. जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने को लेकर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना में बनी कमिटी अभी तक अपनी सिफारिश नहीं सौंप पाई है.
जीएसटी से गरीबों से ज्यादा अमीरों को लाभ
हाल ही में ब्रोकरेज हाउस एम्बिट कैपिटल ने जीएसटी को लेकर रिसर्च पेपर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि जीएसटी रेट को तर्कसंगत (Rationalization) बनाने का ये सही समय है. नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के मुताबिक जिन उत्पादों पर जीएसटी छूट दिया जा रहा है उसका बड़ा फायदा कम आय वाले वर्ग से ज्यादा अमीर परिवारों को हो रहा. गरीबों के कंजम्पशन बास्केट में शामिल आईटम्स में से 20 फीसदी से भी कम आईटम्स पर जीएसटी छूट मिलता है जबकि अमीरों के कंजम्पशन बास्केट के आईटम्स में ज्यादा सामानों पर जीएसटी छूट का प्रावधान मौजूदा समय में है.
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