जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक, रिटर्न भरने की व्यवस्था सरल करने पर होगा विचार
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सबसे अहम मुद्दा रिटर्न की व्यवस्था को सरल बनाना है. इसके तहत दो विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के लिए रिटर्न की व्यवस्था आसान करने की तैयारी है. इस बाबत गुरुवार को जीएसटी के लिए कायदे-कानून बनाने व दर तय करने वाली संस्था जीएसटी काउंसिल की 25 वीं बैठक गुरुवार को होगी.
जीएसटी रिटर्न सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सबसे अहम मुद्दा रिटर्न की व्यवस्था को सरल बनाना है. इसके तहत दो विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. पहले विकल्प में केवल बिक्री से जुड़े बिल की एंट्री करनी है. एक की बिक्री, दूसरे के लिए खरीद है, इस तरह बिलों का मिलान हो सकेगा. गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य इस विकल्प के पक्ष में है, क्योंकि वहां पर इस तरह की व्यवस्था पहले से ही लागू है. सिस्टम में बिल का ब्यौरा डालने के एक निश्चित समय बाद सुधार का मौका मिलेगा. दूसरे विकल्प के तहत खऱीद और बिक्री, दोनो के बिल सिस्टम में डालने होंगे. हर रोज रात 12 बजे के बाद सिस्टम उसका मिलान करेगा और फिर फिर व्यापारी-कारोबारी को सुधार करने के लिए कहेगा.
अभी के समय में रिटर्न फॉर्म के तीन हिस्से हैं जिसमें से पहला (जीएसटीआर 1) व्यापारी-कारोबारी को दाखिल करना होता है जबकि बाकी दो (जीएसटीआर 2 व जीएसटीआर 3) कंप्यूटर जारी कर देता है. इसके अलावा तय सीमा से कम कारोबार करने वालों के लिए बिलों के मिलान को कुछ समय तक टाले जाने की सूरत में जीएसटीआर 3बी फॉर्म भरने की सुविधा दी गयी. व्यापारियों-कारोबारियों की राय में रिटर्न की मौजूदा व्यवस्था जटिल है और लोगो की परेशानी हो रही है. हालांकि सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा लगातार बढाती रही है, फिर भी रिटर्न जमा करने वालों की संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है.
जीएसटी की मौजूदा व्यवस्था के तहत 20 लाख रुपये (पूर्वोत्तर व विशेष राज्यों 10 लाख रुपये) से ज्यादा का का सालाना कारोबार करने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी होता है. 20 लाख से ज्यादा लेकिन 1.5 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले कंपोजिशन स्कीम का फायदा उठा सकते हैं. कंपोजिशन स्कीम में केवल 1 फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है, जबकि रेस्त्रां के मामले में ये दर 5 फीसदी है. इस स्कीम में शामिल होने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलता. इस स्कीम में भाग लेने वालों को तीन महीन में एक बार रिटर्न दाखिल करना होता है, वहीं 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना कारोबार करने वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता है.
जीएसटी दरें सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार की बैठक में 50 से ज्यादा सामान व सेवाओं पर जीएसटी की दरों में फेरबदल किया जा सकता है. इनमें मुख्य रुप से खेती-बाड़ी से जुड़े सामान और बॉयोडीजल शामिल है. इस बात की भी उम्मीद है कि बैठक में रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हो. वैसे सूत्रों ने पेट्रोल-डीजल को फिलहाल जीएसटी मे लाए जाने के मुद्दे पर विचार होने की संभावना से इनकार कर दिया.
क्या है जीएसटी काउंसिल जीएसटी काउंसिल के मुखिया केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली है जबकि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के साथ 29 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) के मनोनित मंत्री इसके सदस्य होते हैं. वैसे तो कोशिश ये होती है कि काउंसिल किसी भी मुद्दे पर फैसला आम सहमति से करे और अभी तक हर फैसला इसी आधार पर हुआ है, फिर भी अगर किसी विषय पर मतभेद हो तो वहां मतदान के आधार पर फैसला होता है. कुल मत में केंद्र की हिस्सेदारी एक तिहाई (33 फीसदी) और राज्यों की दो तिहाई (67 फीसदी) है, लेकिन फैसले के लिए पक्ष या विपक्ष में तीन चौथाई (75 फीसदी) मत जरुरी है. इस तरह किसी भी फैसले में केंद्र या राज्यों की मनमानी नहीं चलेगी.