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गुवाहाटी में जीएसटी को मिलेगी नई शक्ल, रेस्त्रां और 28 फीसदी की दर व्यवस्था में भारी बदलाव संभव

जीएसटी की इस समय छह दरें, 0.25%, 3%, 5%, 12%, 18% और 28% है. इसमें सबसे ज्यादा विवाद 28 फीसदी की दर को लेकर है.

नई दिल्ली: पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी है. शुक्रवार को गुवाहाटी मे होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में रेस्त्रां पर टैक्स की दर, 28 फीसदी वाले कुछ सामानों पर टैक्स में कमी और कंपोजिशन स्कीम में बदलाव मुख्य रुप से शामिल है.

जीएसटी की दरें और नियमों पर अंतिम फैसला लेने की जिम्मेदारी जीएसटी काउंसिल को दी गयी है. काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली है जबकि वित्त राज्य मंत्री के साथ 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों, दिल्ली और पुडुडुचेरी के नामित मंत्री इसके सदस्य होते हैं. काउंसिल की अब तक 22 बैठकें हो चुकी हैं जबकि 23वीं बैठक गुवाहाटी में बुलायी गयी है. ध्यान रहे कि केंद्र और राज्यों के 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर और 23 तरह सेस को मिलाकर एक कर व्यवस्था जीएसटी बनायी गयी और इसे पहली जुलाई से लागू किया गया.

28 फीसदी जीएसटी

जीएसटी की इस समय छह दरें, 0.25%, 3%, 5%, 12%, 18% और 28% है. इसमें सबसे ज्यादा विवाद 28 फीसदी की दर को लेकर है. ये दर वाहन, लग्जरी सामान समेत करीब 200 वस्तुओं पर लगायी जाती है. परेशानी ये है कि आम इस्तेमाल की कई कई चीजों पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है. अब सीलिंग फैन (पंखे) को ही ले लीजिए, उसर जीएसटी की दर 28 फीसदी है जबकि एयर कूलर पर 18 फीसदी. दूसरी ओर शैम्पू, टूथ पेस्ट, शू प़ॉलिस वगैरह पर जीएसटी की दर 28 फीसदी है. ऐसे ही विभिन्न सामान की सूची तैयार की जा रही जिसपर जीएसटी की दर 28 फीसदी की दर को घटाकर 18 फीसदी की जाए.

तिमाही रिटर्न

अभी जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की दो व्यवस्था है. सामान्य तौर पर रिटर्न हर महीने दाखिल करना होता है, वही कंपोजिशन स्कीम में तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा है. बहरहाल, रिटर्न दाखिल करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी के मद्देनजर डेढ़ लाख रुपये तक सालाना कारोबार करने वालों को हर महीने के बजाए तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा दी गयी. इससे जीएसटी के दायरे में आने वाले करीब 90 फीसदी कारोबारी-व्यापारी-उद्यमी के लिए सहूलियत हो गयी. अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि सभी को तीन महीने पर ही रिटर्न दाखिल करने को कहा जाए. इससे टैक्स जमा कराने वालों को तो आसानी होगी ही, जीएसटी नेटवर्क पर भी बोझ कम होगा.

रेस्त्रां पर जीएसटी

जीएसटी पर बने मंत्रियों के समूह ने एसी और बगैर एसी रेस्त्रां के बीच टैक्स के अंतर को खत्म करने की सिफारिश की है. अब इस बारे मे अंतिम फैसला 10 तारीख को गुवाहाटी में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा.

इस समय रेस्त्रां पर जीएसटी की तीन दरे हैं. बिना एसी वाले रेस्त्रां के लिए जीएसटी की दर 12 फीसदी और एसी वाले रेस्त्रां के लिए जीएसटी की दर 18 फीसदी होती है. होटल मे स्थित रेस्त्रां के लिए भी जीएसटी की दर 18 फीसदी है. इन जगहों पर जीएसटी बिल में शामिल होता है और ग्राहकों से वसूला जाता है. दूसरी ओर कंपोजिशन स्कीम (1 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले) के तहत आने वाले रेस्त्रां के लिए जीएसटी का दर पांच फीसदी है. लेकिन ऐसे रेस्त्रां में जीएसटी बिल में शामिल नहीं होता.

अब मंत्रियों के समूह की सिफारिश है कि रेस्त्रां चाहे एसी हो या बगैर ऐसी, दोनों ही जगहों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी होनी चाहिए. साथ ही वो केंद्र सरकार के इस रुख से सहमत नहीं है कि 12 फीसदी की दर पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (कच्चे माल के लिए चुकाया गया टैक्स, अंतिम टैक्स से घटा दिया जाता है) नहीं दिया जाए. उनका मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था को जारी रखा जाए. समूह ये भी चाहता है कि होटलों में स्थित रेस्त्रां पर जीएसटी की दर 18 फीसदी रखी जाए.

हालांकि जीएसटी में उन्हीं रेस्त्रां को रजिस्ट्रेशन कराना होता है जिनका कारोबार 20 लाख रुपये या उससे ज्यादा हो, लेकिन 1 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले कंपोजिशन स्कीम का फायदा ले सकते हैं. मंत्रियों के समूह ने कंपोजिशन स्कीम में जीएसटी की दर पांच फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने की सिफारिश की है. गौर करने की बात बात ये है कि जो भी रेस्त्रां कंपोजिशन स्कीम में शामिल होते हैं, उन्हें अपने दुकान पर इस आशय का बोर्ड लगाना होता है. साथ ही वो ना तो ग्राहकों से जीएसटी वसूल सकते हैं और ना ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ले सकते हैं.

ध्यान रहे कि जीएसटी लागू होने के पहले बगैर एसी वाले रेस्त्रां में सर्विस टैक्स तो नहीं लगता था, लेकिन वहां वैट 12-12.5 फीसदी (अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दर) तक की दर के हिसाब से लगाया जाता था. वही एसी रेस्त्रां की बात करें तो वहां पर साढ़े बारह फीसदी की दर तक वैट और 6 फीसदी की दर से सर्विस टैक्स यानी कुल 18.5 फीसदी की दर तक टैक्स लगता था. कई जगहों पर इसके अलावा सर्विस चार्ज (वो रकम जो वेटर के टिप के बदले दिया जाता है और जो रेस्त्रां के गल्ले में जाता है ना कि सरकार के पास) भी वसूला जाता है जो बिल की कुल रकम के 10 फीसदी तक बराबर होता है. होटलों में बने रेस्त्रां में जीएसटी लागू होने के पहले कुल टैक्स 28-30 फीसदी तक पहुंच जाता था.

वैसे केंद्र सरकार जीएसटी की दर कम करने के पक्ष में है, लेकिन उसका मत है कि 12 फीसदी की दर होने की सूरत में इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाए. फिलहाल, देखना होगा कि गुवाहाटी में होने बैठक में क्या सहमति बनती है.

कंपोजिशन स्कीम

छोटे उद्यमियों-व्यापारियों-कारोबारियों को राहत देने के मकसद से कंपोजिशन स्कीम में भी बदलाव करने की तैयारी है. कंपोजिशन स्कीम के तहत 1 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वालों को एक न्यूनतम दर से जीएसटी चुकाने की सुविधा मिलती है. ये दर व्यापारियों यानी ट्रेडर के लिए 1 फीसदी, मैन्युफैक्चर्र के लिए 2 फीसदी और रेस्त्रां के लिए पांच फीसदी है. अब मंत्रियों के एक समूह का मानना है कि कंपोजिशन स्कीम में 1 करोड़ रुपये के बजाए 1.5 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले उद्यमियों-व्यापारियों-कारोबारियों को शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही यहां पर सभी के लिए एक समान 1 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाना चाहिए. इन सुझावों पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल में होगा.

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