क्रिएटर्स इकोनॉमी की नई बहस शुरू करने वाले नए जमाने के प्रोफेशनल ‘कंटेंट क्रिएटर्स’ को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है. ऑनलाइन हो रही कमाई पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना पड़ सकता है. सरकार ने इस संबंध में एक ताजा नोटिफिकेशन जारी किया है. वहीं दूसरी ओर समुद्री मार्ग से माल की ढुलाई करना अब सस्ता हो गया है.
बदलाव के दायरे में ये ऑनलाइन सेवाएं
वित्त मंत्रालय के इस आदेश के अनुसार, अब विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाता कंपनियों से पर्सनल यूज के लिए ऑनलाइन सेवाओं का इम्पोर्ट करना जीएसटी के दायरे में आएगा. मिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके दायरे में सॉफ्टवेयर बेचने वाली कंपनियां, कंटेंट स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स व अमेजन, सोशल मीडिया कंपनियां और विज्ञापन होस्ट करने वाली सर्च इंजन कंपनियां आएंगी. हालांकि टैक्स की देनदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सेवाओं को आयात करने वाले यानी एंड बेनेफिशियरी की होगी.
क्या कहता है सरकारी नोटिफिकेशन
सरकारी नोटिफिकेशन में ऑनलाइन सेवाएं देने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों को Online Information Database Access and Retrieval यानी OIDAR नाम दिया गया है. सरकार ने सबसे पहले बजट में इसका प्रस्ताव किया था. अब वित्त मंत्री के नोटिफिकेशन के बाद बदलाव को अमल में लाया गया है. सरकार ने बजट में प्रस्ताव किया था कि OIDAR सेवाओं के पर्सनल यूज के लिए आयात को मिल रही टैक्स छूट समाप्त की जाएगी.
इस तरह से तय हो सकती है देनदारी
इस टैक्स को कलेक्ट करने और भारत सरकार के पास जमा कराने की जिम्मेदारी सर्विस के निर्यातक के ऊपर दी गई है. अब इसे ऐसे समझ सकते हैं. मान लीजिए आप कंटेंट क्रिएटर हैं और आपको फेसबुक, यूट्यूब या एक्स से कमाई हो रही है. ये कमाई ऐड रेवेन्यू की होती है, जो ओआईडीएआर के दायरे में है. ऐसे में 01 अक्टूबर से इस पर 18 फीसदी जीएसटी लग सकता है. चूंकि इन मामलों में सर्विस एक्सपोर्टर कंटेंट क्रिएटर को प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कर रही कंपनियों जैसे एक्स, फेसबुक, यूट्यूब आदि होगी, तो जीएसटी भरने की जिम्मेदारी भी उसकी होगी.
समुद्र से माल ढुलाई करना हुआ सस्ता
दूसरी ओर सरकार ने ओसन फ्रेट पर 01 अक्टूबर से जीएसटी में राहत दी है. अब समुद्री मार्ग से माल की ढुलाई करने पर 5 फीसदी इंटरग्रेटेड जीएसटी से छूट मिलेगी. वित्त मंत्रालय ने अलग से जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी है. अभी इम्पोर्टर्स को समुद्री मार्ग से माल की ढुलाई करने पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत 5 फीसदी की दर से इंटीग्रेटेड जीएसटी यानी आईजीएसटी का भुगतान करना होता है. वित्त मंत्रालय ने 01 अक्टूबर से इसमें छूट देने का फैसला किया है.
ये भी पढ़ें: आ गया 2000 रुपये के नोटों की विदाई का वक्त! भारत की अर्थव्यवस्था पर कैसा होगा इसका असर?