नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज फिर कहा कि प्रस्तावित वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित लंबित मुद्दे अगले कुछ हफ्तों में सुलझा लिए जाएंगे और इस प्रणाली को एक अप्रैल से लागू किया जा सकेगा.


जीएसटी के मामले में सर्वाधिकार संपन्न जीएसटी परिषद की आगामी बैठक 16 जनवरी को होगी जिसमें टैक्स पेयर यूनिट्स पर अधिकार सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी. परिषद की पिछली कई बैठकों में गतिरोध बना रहा.


वित्त मंत्री ने वाइबेंट गुजरात सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ज्यादातर मुद्दे सुलझा लिए गए हैं, कुछ अहम् मुद्दे हैं जो अभी बने हुए हैं और हम अगले कुछ हफ्तों में इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे.’ उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 16 सितंबर 2017 तक का समय है. इस नई टैक्स व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे. इन टैक्सेज में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों के वैट और बिक्री कर आदि शामिल हैं.


जीएसटी लागू करने के लिए संसद में पारित और राज्यों द्वारा अनुमोदित संविधान संशोधन विधेयक के तहत कुछ मौजूदा करों की मियाद इस वर्ष 16 सितंबर के बाद समाप्त हो जाएगी. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अप्रत्यक्ष करों की इस नई कर व्यवस्था को इस साल अप्रैल से लागू करना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘यदि सभी मुद्दों का समाधान हो जाए तो हम इसे अप्रैल से ही लागू करना चाहते हैं.’


जेटली ने अलग से बातचीत करते हुए कहा, ‘जीएसटी को लागू करने का एक प्रावधान हो चुका है क्योंकि संविधान संशोधन विधेयक पारित हो चुका है. इसलिए यह संवैधानिक आवश्यकता है कि 16 सितंबर 2017 से पहले इसे लागू कर दिया जाए.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों के मिले जुले प्रभाव से औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा और आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘एक साथ इन दोनों कदमों से अर्थव्यवस्था और व्यापक होगी और जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद ज्यादा स्वच्छ होगी. मुझे उम्मीद है दोनों को हम इसी साल देखेंगे.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि जीएसटी के कार्यान्वयन में उद्योग, करदाता इकाइयां व राज्य मिलकर काम करेंगे.


जीएसटी के रूप में बिक्री पर पूरे देश में हर जगह एक ही प्रकार का कर लागू होने से भारत दुनिया का सबसे बड़ा साझा बाजार बन कर उभरेगा. भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. जीएसटी से, कारोबार करने वालों को आसानी होगी. इससे टैक्स की चोरी रोकने में मदद मिलेगी और सरकारों का राजस्व बढ़ेगा.


जीएसटी के कानूनों को लेकर केंद्र और राज्यों में काफी हद तक सहमति बन चुकी है पर करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के मुद्दे और राज्यों को जीएसटी से राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था पर मतभेद बने हुए हैं. वित्त मंत्री जेटली को उम्मीद है कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में करदाताओं पर दोहरे नियंत्रण का मसला हल हो जाएगा. यह बैठक 16 जनवरी को होगी.