वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की दूसरे और अंतिम दिन की बैठक में तमाम किस्म की सेवाओं पर जीएसटी की दर को लेकर चर्चा हुई. तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चली चर्चा के बाद तय हुआ कि
- सेवाओं पर जीएसटी की दर 5,12,18 और 28 फीसदी होगी.
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगेगा.
- विभिन्न तरह की सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा जिससे जीएसटी की दर को सर्विस टैक्स की मौजूदा दर के बराबर रखने में मदद मिले.
- 6 किस्म के सामान और एक सेवा लॉटरी को छोड़ बाकी सभी सामान और सेवाओं के लिए जीएसटी की दर तय हो गयी है. सरकार का दावा है कि दरों की नयी व्यवस्था से महंगाई नहीं बढ़ेगी.
GST काउंसिल ने तय किया
- रोज के 1000 रुपये तक के किराये वाले होटल के कमरों पर जीएसटी नही लगेगा, जबकि हजार से ढ़ाई हजार रुपये के बीच के किराये पर, 12, 2500 से 5000 रुपये तक के किराये वाले होटल के कमरों पर सर्विस टैक्स की दर 18 फीसदी होगी. 5000 रुपये से ज्यादा के किराये पर सर्विस टैक्स की दर 28 फीसदी होगी. अभी सर्विस टैक्स और लग्जरी टैक्स वगैरह मिलाकर दरें इसी के आसपास हैं.
- एसी रेस्त्रां और शराब परोसेने वाले किसी भी तरह के रेस्त्रा में जीएसटी की दर 18 फीसदी होगी. अभी इन जगहों पर अभी सर्विस टैक्स और वैट को मिलाकर साढ़े 18 फीसदी देना होता है. यानी यहां पर बिल कुछ कम हो सकता है.
- बगैर एसी वाले रेस्त्रा में जीएसटी की दर 12 फीसदी होगी. अभी वहां सर्विस टैक्स तो नहीं लगता, लेकिन वैट की दर 12.5 फीसदी है. यानी यहां भी आधे फीसदी का फायदा संभव.
- 50 लाख रुपये सालाना से कम कमाई करने वाले रेस्त्रां में जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी.
- सिनेमा टिकट पर जीएसटी की दर 28 फीसदी होगी, अभी ये दर 100 फीसदी तक चला जाता है. लेकिन ऐसी व्यवस्था भी की गयी है जिससे राज्य सरकारें मौजूदा दर और जीएसटी की दर के बीच का अंतर स्थानीय निकायों के लिए कर के नाम पर वसूल सकेंगे, मसलन सिनेमा का टिकट सस्ता नहीं होगा.
- रेलवे के एसी के सभी क्लास के लिए जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी. अभी सेस मिलाकर सर्विस टैक्स की दर 4.7 फीसदी है
- इकोनॉमी क्लास के हवाई टिकट पर जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी, जबकि अभी सेस मिलाकर सर्विस टैक्स की दर 6 फीसदी है
- वहीं बिजनेस क्लास के हवाई टिकट पर जीएसटी की दर 12 फीसदी होगी जबकि अभी सेस मिलाकर सर्विस टैक्स की दर 9 फीसदी है.
- मोबाइल सर्विसेज पर जीएसटी की दर 18 फीसदी रखी गयी है जबकि अभी सेस मिलाकर सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी है.
सरकार का दावा है कि जीएसटी की दर सर्विस टैक्स से ज्यादा होने के बावजूद मोबाइल बिल नहीं बढ़ने वाला. क्योंकि जीएसटी लागू होने की सूरत में कंपनियो को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलेगा. इससे टैरिफ में कमी की जा सकेगी. नतीजतन, बिल में भले ही जीएसटी की दर 18 फीसदी है, लेकिन उसके लिए आकलन का आधार यानी मूल कीमत में कमी होगी जिससे टैक्स की वास्तविक दर 15 फीसदी के आसपास ही रहेगी.
सरकार ने इस मौके पर ये भी साफ कर दिया कि अगर जिन वस्तु या सेवा पर जीएसटी की दर मौजूदा करों की दर की तुलना में कम है और कंपनियां उनका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाती, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त व्यवस्था है.
सरकार ने ये भी साफ किया कि उनकी नजर ऐसी तमाम कंपनियों पर हैं जिन्होंने हाल के दिनों में दाम बढ़ाए हैं. इन कंपनियों से जवाब तलब किया जा सकता है. दूसरी ओर सरकार ये भी चाहती हैं कि मोबाइल सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां लागत का पूरा-पूरा ब्रेकअप दे, जिससे ग्राहक को अंदाजा हो सके कि वास्तव में उनके लिए जीएसटी की दर सर्विस टैक्स की मौजूदा दर से कम है.
सोने जैसे बहुमूल्य धातु के साथ कपड़ों को छोड़ 6 तरह के सामान पर अभी जीएसटी की दर तय नहीं हो पायी है. इसके लिए अगली बैठक अगले महीने दिल्ली में बुलायी गयी है. फिलहाल, सरकार दावा कर रही है कि जीएसटी के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी है और पहली जुलाई से लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.