GST On Canteen Services: कई कंपनियां अपने फैक्ट्री या कंपनी में सब्सिडी पर कैंटीन फैसिलिटी (Canteen Facility) उपलब्ध कराती हैं. इसपर खर्च होने वाले रकम का हुछ हिस्सा कंपनियां अपने कर्मचारियों से वसूलती हैं. लेकिन हो सकता है आने वाले दिनों में कर्मचारियों से वसूले जाने वाले इस रकम पर कंपनियों को जीएसटी का भुगतान करना पड़े. जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (GSTAAR) के उत्तराखंड बेंच ने एक इंजीनियरिंग कंपनी के मामले में सुनवाई करने हुए ये फैसला सुनाया है.  


बेंच के मुताबिक ट्यूब इंवेस्टमेंट ऑफ इंडिया नाम की कंपनी ने फैक्टरीज एक्ट के तहत कैंटीन फैसिलिटी उपलब्ध कराया जिसमें थर्ड पार्टी वेंडर के जरिए सस्ती कीमत पर कर्मचारियों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था.  जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग बेंच के मुताबिक कंपनी अपने एम्पलॉयज को जो सर्विसेज दे रही है वो कर्मचारियों के साथ कॉंट्रैक्ट का हिस्सा नहीं है और वो स्कोप ऑफ सप्लाई (Scope Of Supply) के तहत आता है. ऐसे में जो रकम कर्मचारियों से वसूली जा रही है उसपर जीएसटी का भुगतान बनता है.  इससे पहले तमिलनाडु बेंच भी कोठारी सुगरसैंड केमिकल्स के मामले में यही आदेश पारित कर चुकी है. 


हालांकि दूसरे बेंचों की इस मामले में अलग राय है. भारतीय रेलवे की सब्डियरी कंपनी राइट्स (RITES)  के मामले में हरियाणा बेंच का आदेश अलग है. बेंच ने कहा कि कंपनियों में कैंटीन सुविधा फैक्टरीज एक्ट का हिस्सा है. इसलिए भोजन के लिए कर्मचारियों से वसूले जाने वाले रकम स्कोप ऑफ सप्लाई से बाहर आता है इसलिए उसपर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता है.   


हालांकि  जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग  के अलग अलग बेंचों के अलग फैसलों से कंपनियों के सामने बड़ी उलझन खड़ी हो गई है जो कैंटीन सेवा उपलब्ध कराती है. कंपनियां फिलहाल केंटीन सेवा पर जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही है. लेकिन टैक्स अथॉरिटी अपने जीएसटी ऑडिट में इसे लेकर मुद्दा बना रही है और उपर जीएसटी भुगतान का दबाव बना रही हैं. इसके चलते ये कानूनी विवाद का मसला अब बनता जा रहा है.  


बहरहाल 17 दिसंबर 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक होने वाली है जिसमें माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है और जीएसटी काउंसिल अपना रूख इस मुद्दे पर साफ कर सकती है. 


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