GST On Cryptocurrency: क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले निवेशकों को बजट में झटका लग चुका है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया है. लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार जीएसटी लगाने पर भी विचार कर रही है. 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने के बाद अब सरकार डिजिटल करेंसी के माइनिंग और सप्लाई पर भी जीएसटी (GST) लगाने के बारे में विचार कर रही है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) में इस पर मंथन चल रहा है और इस बारे में जीएसटी काउंसिल (GST Council) में प्रस्ताव लाने की तैयारी है. 


CBIC के चेयरमैन विवेक जौहरी के मुताबिक डिजिटल एसेट्स के कई पहलू ऐसे हैं जो जीएसटी के दायरे में आते हैं. बजट में वर्चुअल डिजिटल करेंसीज पर एक अप्रैल, 2022 से 30 फीसदी कैपिटल गेन्स टैक्स (capital gains tax) लगाने का प्रस्ताव रखा गया था. अब डिजिटल एसेट्स में होने वाले दूसरे प्रकार के लेनदेन पर जीएसटी लगाया जा सकता है. सीबीआईसी चेयरमैन के मुताबिक किसी प्लेटफॉर्म या किसी एक्सचेंज प्रोवाइडर की सर्विसेज टैक्सेबल सर्विसेज के कैटगरी में आता है और उनपर टैक्स लगाया जाता है. लेकिन सप्लाई से जुड़े कई सवालों पर अभी मंथन की जरूरत है जिसमें दो से तीन महीने का समय लग सकता है. वैसे जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद मार्च में होने की उम्मीद है. 


क्या होती है बिटकॉइन माइनिंग?
क्रिप्टो माइनिंग या बिटकॉइन माइनिंग का मतलब पजल्स को सॉल्व करके नई बिटकॉइन बनाना है. जिस तरह किसी को पैसे ट्रांसफर करने के लिए ट्रांजेक्शन करते हैं तो वह पहले उसे बैंक वैलिडेट करता होता फिर ट्रांसफर किया जाता है. क्रिप्टोकरंसी के मामले में कॉइन भेजने वाले उसे रिसीव करने वाले के बीच में कंम्पूटर के जरिए ट्रांजेक्शन वैलिडेट की वैलिडेशन की जाती है. इस मेहनत के बदले उन्हें बिटकॉइन मिलते हैं. जिसे बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है. ये माइनिंग सभी प्रकार के क्रिप्टोकरेंसी में होती है. 


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