(अर्चित गुप्ता)
एक अक्टूबर 2023 से कारोबार बिना जीएसटी पंजीकरण के ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं. इससे पहले उन्हें फ्लिपकार्ट, अमेजन या मीशो जैसे किसी भी ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से अपने उत्पादों की बिक्री करने से पहले जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत होती थी. इस बदलाव के बाद ऑनलाइन विक्रेता कर लागत को न्यूनतम करने के लिए आदर्श बिजनस मॉडल को चुन सकता है. यह आलेख विभिन्न ऑनलाइन बिक्री के जीएसटी आयामों के बारे में जानकारी देता है...
जीएसटी के तहत ऑनलाइन बिक्री पर टैक्स लेनदेन के आधार पर अलग-अलग होता है. इसमें प्रत्यक्ष ऑनलाइन बिक्री के लिए सामान्य जीएसटी नियम, ऑनलाइन सेवाओं के लिए जीएसटी के तहत ओआईडीएआर नियम और धारा 52 के तहत टीसीएस या सीजीएसटी कानून की धारा 9(5) शामिल हैं.
ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के माध्यम से ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए टीसीएस
जहां व्यवसाय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (मार्केटप्लेस मॉडल) के माध्यम से सामान या सेवाएं बेचते हैं, ई-कॉमर्स ऑपरेटर (ईसीओ) ग्राहक के भुगतान के एक हिस्से को काट लेगा, जिसे टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) कहा जाता है और बाकी बची रकम को ऑनलाइन विक्रेता को हस्तांतरित कर देगा. बिक्री पर टीसीएस की लिमिट 1% है, जिसे सरकार के पास जमा कर दिया जाता है. बाद में ऑनलाइन विक्रेता उसी महीने के भीतर जीएसटीआर-3बी दाखिल करते समय अपनी टैक्स देनदारी से टीसीएस क्रेडिट की भरपाई कर सकते हैं, जिसमें कटौती की गई है. इसलिए, टीसीएस क्रेडिट को क्लेम करना ऑपरेटर पर निर्भर करता है.
1 अक्टूबर 2023 तक सभी ऑनलाइन विक्रेताओं को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री करने के लिए जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य था. नए नियम के मुताबिक तय सीमा से कम टर्नओवर वाले छोटे करदाताओं को ऑनलाइन बिक्री के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेने से राहत मिली है. हालांकि, यह कुछ शर्तों के अधीन है. ऐसे विक्रेता अन्य राज्यों में माल की बिक्री नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अंतरराज्यीय बिक्री के लिए जीएसटी पंजीकरण जरूरी है.
जहां एक ही लेनदेन में कई ई-कॉमर्स ऑपरेटर शामिल होते हैं, ऐसे में जो ई-कॉमर्स ऑपरेटर विक्रेता को भुगतान करता है, उसे नियमों का पालन करना चाहिए. एक ई-कॉमर्स ऑपरेटर के रूप में, जीएसटीआर-8 के नए टेबल 3.1 में ऐसे लेन-देन का विवरण सटीक रूप से रिपोर्ट करना सुनिश्चित करें, जिसमें आपूर्तिकर्ताओं की नामांकन संख्या, की गई आपूर्ति का सकल मूल्य, लौटाई गई आपूर्ति का मूल्य और शुद्ध आपूर्ति मूल्य का विवरण शामिल हो.
ई-कॉमर्स ऑपरेटर और विक्रेताओं दोनों को जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी रिटर्न में सभी बिक्री लेनदेन पर पूरी जानकारी देनी होगी. इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स द्वारा फाइल किए गए जीएसटीआर-8 में ऐसे जीएसटी-अपंजीकृत ऑनलाइन बिक्री पर विस्तृत जानकारी होनी चाहिए.
डायरेक्ट ऑनलाइन सेलिंग पर जीएसटी
अगर कोई बिजनसे या व्यवसाय डायरेक्ट-टू-कस्टमर्स (डी2सी) मॉडल या इन्वेंट्री-आधारित मॉडल के तहत सीधे ऑनलाइन बिक्री करता है, तो पंजीकरण और रिपोर्टिंग के लिए मानक जीएसटी नियम लागू होंगे. इसका मतलब है कि विक्रेता नियमित करदाताओं की तरह जीएसटी का भुगतान करेंगे और रिटर्न दाखिल करेंगे.
सीजीसएटी अधिनियम के सेक्शन 9(5) के तहत जीएसटी
ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के माध्यम से कुछ अंतर्राज्यीय आपूर्ति विक्रेताओं के बजाय जीएसटी का भुगतान करने की जिम्मेदारी ईसीओ पर डाल देती है. इसमें यात्री परिवहन, हाउसकीपिंग, रेस्तरां (क्लाउड किचन सहित) और ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के माध्यम से प्रदान की जाने वाली आवास सेवाएं शामिल हैं. ये लेनदेन धारा 52 के तहत टीसीएस प्रावधानों के तहत नहीं आते हैं. आपूर्तिकर्ता के जीएसटी के तहत पंजीकृत होने के बावजूद ई-कॉमर्स ऑपरेटर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अनुसार कर का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे, जैसे कि वे आपूर्तिकर्ता थे. जीएसटीआर-3बी में में तालिका 3.1.1 मौजूद है, जहां धारा 9(5) के तहत की गई सभी आपूर्ति विक्रेता और ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा रिपोर्ट की जाती है.
ओआईडीएआर सेवाओं के लिए अलग नियम हैं
आईजीएसटी अधिनियम के तहत ऑनलाइन इन्फॉर्मेशन डेटाबेस एक्सेस एंड रिट्रीवल (ओआईडीएआर) सेवाओं के अलग प्रावधान हैं. यह ई-बुक, पीडीएफ और ड्राइवर जैसे दूरस्थ स्थानों से उपभोक्ताओं को दी जाने वाली ऑनलाइन सूचना आपूर्ति, डेटाबेस पहुंच या रिट्रीवल (पुनर्प्राप्ति) सेवाओं की श्रेणी को संबोधित करता है. अन्य उदाहरणों में ऑनलाइन गेमिंग, क्लाउड सेवाएं, डेटा रिट्रीवल सॉफ्टवेयर, अमूर्त वस्तुएं जैसे इलेक्ट्रॉनिक डेटा स्टोरेज, टेलीकॉम नेटवर्क, वेबसाइट होस्टिंग और डिजिटल सामग्री (फिल्में, टीवी शो, संगीत इत्यादि) के माध्यम से वितरित संगीत शामिल हैं.
अब सवाल उठता है कि जीएसटी पंजीकरण रद्द किया जाए या नहीं
अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण से छूट उपलब्ध होने के साथ, छोटे व्यवसायों को जीएसटी पंजीकरण रद्द करने से पहले दो बार सोचना चाहिए. जीएसटी पंजीकरण बनाए रखने के कुछ लाभ हैं, जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाना, संचालन की स्थिति के बाहर बेहतर व्यावसायिक संभावनाएं और बैंकों व फाइनेंसर्स की नजरों में अच्छी साख का होना. इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि जीएसटी पंजीकरण में समय-समय पर रिपोर्टिंग और नियमों का अनुपालन करन पड़ता है.
किसी भी योग्य छोटे व्यवसाय को छूट के कारण जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने से पहले उसे बरकरार रखने के फायदे और नुकसान दोनों पर विचार करना चाहिए. प्रत्येक नया ऑनलाइन विक्रेता बाजार मॉडल का विकल्प चुन सकता है, जबकि स्थापित विक्रेता डी2सी विकल्प को अपना सकता है. कुछ विशिष्ट ऑनलाइन सेवाओं पर आरसीएम लागू होता है. किसी भी मामले में, जीएसटी रिपोर्टिंग की आवश्यकताएं और लगातार विकसित हो रहे जीएसटी नियम व्यवसायों और ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के लिए सख्त हो गए हैं. इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए बेहतर समाधान की आवश्यकता है.
डिस्क्लेमर: लेखक क्लियरटैक्स के संस्थापक एवं सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.
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