Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ 53वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक की. इस दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इनमें कई सेवाओं एवं उत्पादों पर जीएसटी भी घटाया गया. साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ ले रहे लोगों पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की गई. मगर, सालों से चली आ रही एक डिमांड पर अभी भी कोई फैसला नहीं हो सका. दरअसल, जीएसटी लागू होने के साथ ही पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे में लाने की डिमांड होती रही है. इस डिमांड पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है. अब राज्यों को इस बारे में फैसला लेना है. राज्यों को साथ आकर इसकी दरें तय करनी हैं.


अरुण जेटली ने पहले ही कर दिया था इसका प्रावधान 


वित्त मंत्री ने गेंद राज्यों के पाले में डालते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करने का प्रावधान पहले ही कर दिया था. उनकी सोच बहुत स्पष्ट थी. अब बस राज्यों को एक साथ आकर इस पर फैसला लेना है. सीतारमण ने कहा हम जीएसटी के दायरे में पेट्रोल और डीजल को लाना चाहते हैं. अब राज्यों को तय करना है कि पेट्रोल और डीजल पर कितना जीएसटी लगाया जाए. जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 से लागू किया गया था. उस दौरान इसमें एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य शुल्कों को शामिल किया गया था. हालांकि, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (ATF) को जीएसटी कानून में लाने का फैसला टाल दिया गया था. 


पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी को लेकर जल्दबाजी नहीं


निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार चाहती थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर जल्दबाजी नहीं की जाए. उन्होंने कहा कि इसे जीएसटी में लाने का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है. अब राज्यों को जीएसटी काउंसिल में सहमत होना है. इसके बाद उन्हें तय करना होगा कि वो इन पर कितने फीसदी जीएसटी लगाना चाहते हैं. सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्यों के फैसला लेने के बाद हम इसे जीएसटी कानून में शामिल कर देंगे.


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