माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी की दरों में बदलाव का सालों से इंतजार कर रहे लोगों को जल्दी ही खुशखबरी मिल सकती है. ऐसा कहा जा रहा है कि अगले साल जीएसटी की दरों को रैशनल बनाने का काम किया जा सकता है और सरकार आगामी अंतरिम बजट में इस बारे में साफ-साफ संकेत दे सकती है.


चुनाव के चलते आएगा अंतरिम बजट


अब हर साल फरवरी महीने की शुरुआत में बजट पेश होता है. इस बार फरवरी में अंतरिम बजट पेश होने वाला है, क्योंकि मई में लोकसभा के चुनाव हो सकते हैं. आसन्न लोकसभा चुनाव के चलते इस बार के बजट पर भी असर दिख सकता है. ऐसे में बजट में नीतिगत मोर्चे पर बहुत ज्यादा बदलाव की उम्मीद कम ही है. चुनाव के बाद केंद्र में आने वाली नई सरकार पूर्ण बजट लेकर आएगी.


टैक्स की दरों में बदलाव करने का सुझाव


जीएसटी की दरों को रैशनल बनाने की मांग लंबे समय से उठती आई है. विभिन्न स्टेकहोल्डर इस बात की वकालत करते रहे हैं कि जीएसटी के स्लैब कम किए जाने चाहिए. इस दिशा में मंत्रियों के एक समूह ने जून 2022 में अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें जीएसटी की व्यवस्था को रैशनल बनाने के लिए कई बदलावों की सिफारिश की गई है. सुझाई गई सिफारिशों में कुछ वस्तुओं व सेवाओं पर टैक्स की दरों में बदलाव करना भी शामिल है.


नवंबर में फिर से बना मंत्रियो का समूह


सरकार ने इस साल नवंबर में जीएसटी रेट रैशनलाइजेशन पर मंत्रियों के समूह का पुनर्गठन किया है. इस जीओएम में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्न को कंवेनर बनाया गया है, जबकि कर्नाटक के राजस्व मंत्री केबी गौड़ा जीओएम के सदस्य हैं. जीओएम के अन्य सदस्यों में गोवा के परिवहन मंत्री माउविन गोदिन्हा, बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी, पश्चिम बंगाल की वित मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और केरल के वित्त मंत्री केएन बालागोपाल शामिल हैं.


जीएसटी स्लैब की संख्या कम करने की मांग


अभी जीएसटी के पांच स्लैब हैं, जिनकी दरें जीरो, 5 पर्सेंट, 12 पर्सेंट, 18 पर्सेंट और 28 पर्सेंट हैं. उनके ऊपर कई मामलों में सेस का प्रावधान ऐसी मांग उठती रही है कि जीएसटी के स्लैब की संख्या घटाकर 3 या 4 की जानी चाहिए. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी रेट रैशनलाइजेशन पर बने जीओएम की फिलहाल कोई बैठक शेड्यूल्ड नहीं है. ऐसे में यही उम्मीद की जा रही है कि सरकार अंतरिम बजट में संकेत दे सकती है और अगले वित्त वर्ष में इस दिशा में काम हो सकता है.


ये भी पढ़ें: चैटजीपीटी के बाद अब एप्पलजीपीटी! आने वाला है एप्पल का अपना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस?