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GST: चुनावों बाद क्या जीएसटी रेट्स में होगा बदलाव? गरीबों से ज्यादा अमीरों को मिल रहा जीएसटी छूट का लाभ

GST Tax Rates: एम्बिट कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिन उत्पादों पर जीएसटी छूट का लाभ दिया जा रहा है उसका बड़ा फायदा अमीरों को हो रहा ना कि गरीबों को.

Goods And Services Tax: जीएसटी कलेक्शन के लिहाज से वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत बेहद शानदार रही. फाइनेंशियल ईयर के पहले ही महीने में जीएसटी कलेक्शन पहली बार 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए 2.10 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा. 1 जुलाई 2017 से शुरू हुए जीएसटी के दौर में ये पहला मौका था जब 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जीएसटी वसूली में सफलता मिली है. पर बड़ा सवाल उठता है कि 4 जून, 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद जब केंद्र में नई सरकार का गठन का हो जाएगा तो उसके बाद जीएसटी के रेट्स में क्या बदलाव होंगे?    

जीएसटी पर क्या कहती है मैनिफेस्टो

सत्ताधारी दर बीजेपी के संकल्प पत्र में जीएसटी रेट्स को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. केवल ईमानदार टैक्सपेयर्स को सम्मानित करने की बात कही गई है, लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में मौजूदा जीएसटी कानून की जगह जीएसटी 2.0 लाने का वादा किया है. जीएसटी के नए रिजीम में कुछ छूटों के साथ सिंगल रेट की बात कही गई है जिसमें गरीबों पर कोई भार नहीं डाला जाएगा. कृषि से जुड़ी चीजों पर जीएसटी नहीं लगाने का भी वादा कांग्रेस ने किया है. 

जीएसटी में होगा बदलाव? 

ब्रोकरेज हाउस एम्बिट कैपिटल ने जीएसटी को लेकर रिसर्च पेपर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि जीएसटी रेट को तर्कसंगत ( Rationalization) बनाने का समय अब आ चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी के लागू होने से पहले सरकार द्वारा नियुक्त कमिटी ने 15.3 फीसदी औसतन जीएसटी रेट्स रखने की सिफारिश की थी जिससे राज्यों के टैक्सों के जीएसटी में सम्माहित किए जाने पर राज्यों को रेवेन्यू के मोर्चे पर कोई नुकसान ना हो. लेकिन समय समय पर जीएसटी रेट्स घटाने के कारण औसत जीएसटी रेट्स घटकर 12.6 फीसदी हो चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चुनावों के बाद केंद्र में बनने वाले सरकार जीएसटी स्ट्रक्चर में क्या कोई बड़े बदलाव करेगी जिससे राज्यों की आय बढ़ाई जा सके?

गरीबों से ज्यादा अमीरों को जीएसटी छूट का लाभ 

नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के मुताबिक कई चीजों पर जीएसटी छूटों को खत्म किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक जिन उत्पादों पर जीएसटी छूट दिया जा रहा है उसका बड़ा फायदा कम आय वाले वर्ग से ज्यादा अमीर परिवारों को मिल रहा है. गरीबों के कंजम्पशन बास्केट में शामिल आईटम्स में से 20 फीसदी से भी कम आईटम्स पर जीएसटी छूट मिलता है जबकि अमीरों के कंजम्पशन बास्केट के आईटम्स में ज्यादा सामानों पर जीएसटी छूट है. 

3 जीएसटी रेट के सुझाव 

मौजूदा समय में जीएसटी के चार स्लैब है, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी. जरूरी वस्तुओं पर शून्य फीसदी भी जीएसटी है जबकि सोने पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है. हाई एंड मोटर व्हीकल्स पर जीएसटी सेस भी लगता है. एम्बिट कैपिटल ने सुझाव दिया कि केवल तीन जीएसटी स्लैब होना चाहिए जिसमें 5 फीसदी, 12 से 18 फीसदी के बीच का एक स्लैब और 28 फीसदी टैक्स रेट का स्लैब. जीएसटी कलेक्शन में 7 फीसदी हिस्सा जीएसटी सेस का है और इसे 2025-26 में भी खत्म कर दिया जाएगा इसकी संभावना नहीं दिखती है. 

जीएसटी रेट के विलय का होगा लाभ 

एम्बिट कैपिटल के मुताबिक 12 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब को आपस में विलय करने के बाद 15 या 16 फीसदी का नया स्लैब बनाया गया तो ऑटोमोबाइल में टैक्टर्स, कुछ कमर्शियल व्हीकल्स, रेफ्रीजरेटेड व्हीकल्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जीएसटी रेट के आपस में विलय का फायदा होगा. इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम्स में मोबाइल फोन, टीवी, कम्प्यूटर्स को फायदा होगा. उपभोक्ता के इस्तेमाल किए जाने वाले वस्तुएं जैसे घड़ी, जूते, थीम पार्क, ब्रॉकास्टिंग सर्विसेज को फायदा होगा. कैपिटल गुड्स में पाइप, ट्यूब्स, वायर्स, इंडस्ट्रियल फरनेस और मशीनरी को भी लाभ होगा. 

राज्यों की बढ़ेगी कमाई 

जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने का बड़ा फायदा राज्यों को होगा. उनकी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि औसत जीएसटी रेट बढ़ जाएगा. 7 फीसदी जो जीएसटी सेस से पैसा आता है वो राज्यों को नहीं दिया जाता है. इस रकम के जरिए राज्यों को जीएसटी रेवेन्यू में हुए नुकसान की भरपाई के लिए जो कर्ज लिया जाता है उसके भुगतान में खर्च किया जाता है. जीएसटी के औसत रेट बढ़ने से राज्यों की वित्तीय हालत में सुधार आएगी. वहीं रिपोर्ट में कहा गया कि 2021-22 से जीएसटी कलेक्शन में तेजी देखी जा रही है और आने वाले दिनों में भी जीएसटी कलेक्शन में तेजी बनी रहेगी.    

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