GST Rate: जीएसटी (Good And Services Tax) के टैक्स स्लैब ( GST Tax Slab) में सरकार बड़े बदलाव करने की तैयारी में है. जीएसटी टैक्स स्लैब रेट को मौजूदा चार से घटाकर आने वाले दिनों में तीन किया जा सकता है. जीएसटी में मल्टीपल रेट सिस्टम में क्लासिफिकेशन विवादों को सुझाने के लिए सरकार ये कदम उठा सकती है. सीबीआईसी (CBIC) चेयरमैन संजय अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में ये महत्वपूर्ण बयान दिया है.  


तीन GST रेट्स करने की तैयारी


ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (Central Board of Indirect Taxes and Customs) के चैयरमैन ने कहा, कई प्रकार के जीएसटी रेट्स होने के चलते क्लासिफिकेशन विवाद खड़े हो रहे हैं जिसे ठीक किया जाना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, मौजूदा चार जीएसटी रेट्स 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी को कम कर तीन किया जा सकता है हालांकि इसका जीएसटी कलेक्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले महीनों में इस सुधार के कार्य को पूरा कर लिया जाएगा. दरअसल कुछ जरूरी वस्तुओं पर शून्य फीसदी जीएसटी है जबकि सोने पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है. हाई एंड मोटर व्हीकल्स पर जीएसटी सेस भी लगता है. कई जानकारों ने केवल तीन जीएसटी स्लैब की वकालत की है जिसमें 5 फीसदी, 12 से 18 फीसदी को मिलाकर एक स्लैब करने की सिफारिश की गई है और 28 फीसदी टैक्स स्लैब भी शामिल है. 


वित्त मंत्री ने भी सरलीकरण के दिए संकेत 


इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी 23 जुलाई, 2024 को अपने बजट बजट भाषण में जीएसटी में संभावित बदलाव के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा, जीएसटी से हो रहे बेनेफिट्स के सरलीकरण के लिए इसे आगे जाकर और भी सरल बनाया जाएगा साथ ही जीएसटी रेट स्ट्रक्चर को तर्कसंगत बनाया जाएगा और दूसरे सेक्टर्स को भी इसके दायरे में लाया जाएगा. 


जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने का दबाव 


लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विपक्ष ने मौजूदा जीएसटी सिस्टम को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा था. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में जीएसटी 2.0 लाने का वादा किया था. अब मोदी सरकार पर भी जीएसटी रेट्स के सरलीकरण के साथ टैक्स का बोझ घटाने का दबाव है. जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने को लेकर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना में बनी कमिटी अभी तक अपनी सिफारिश जीएसटी काउंसिल को नहीं सौंप पाई है.  


जीएसटी से गरीबों को नुकसान!


ब्रोकरेज हाउस एम्बिट कैपिटल ने जीएसटी को लेकर अपने रिसर्च नोट में कहा था कि जीएसटी रेट को तर्कसंगत (Rationalization) बनाने का ये सही समय है. नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी ने भी कहा था कि जिन उत्पादों पर जीएसटी छूट दिया जा रहा है उसका बड़ा फायदा कम आय वर्ग के लोगों से ज्यादा अमीरों को मिल रहा है.  


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