नई दिल्ली: जीएसटी को समझना एक मुश्किल चीज़ है. इसलिए हम आपको इससे रू-ब-रू करा रहा हूं. कल हमने आपको बताया कि मौजूदा कर व्यवस्था और जीएसटी में क्या फर्क है? जीएसटी में किस तरह से टैक्स लगेगा? मौजूदा टैक्स व्यवस्था में कैसे टैक्स लगता है? कितने तरह के टैक्स को जीएसटी में शामिल किया गया है? और जीएसटी में किन-किन अप्रत्यक्ष कर को शामिल किया गया है? आज हम इनपुट टैक्स क्रेडिट  के बारे में बाते करेंगे. क्योंकि इसे जाने बिना जीएसटी को समझना बेमानी है.


आइए जानते हैं कि इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है.


इनपुट टैक्स क्रेडिट: सैद्धांतिक तौर पर मौजूदा व्यवस्था में उत्पादक को केंद्रीय करों और वैट दोनों ही मामले में कच्चा माल पर चुकाये गए टैक्स के एवज में तैयार माल पर टैक्स क्रेडिट देने की बात कही गयी है. लेकिन व्यावहारिक तौर पर ये व्यवस्था उतना आसान नहीं. पहले तो अलग-अलग जगहों पर आवेदन करना होता है, फिर अलग-अलग कागजात रखने होते हैं, फिर ये देखना होता है कि कच्चा माल बेचने वाले ने पूरा-पूरा टैक्स चुकाया है और उसके दस्तावेज जमा कराए हैं. चूंकि अभी इस पूरे मामले में कोई इंटीग्रेटेड आईटी सिस्टम नहीं है, लिहाजा ये सुनिश्चित करना आसान नहीं कि पहले वाले ने टैक्स चुकाया या नहीं.


अब जीएसटी में होगा ये कि एक स्तर पर चुकाया गया टैक्स, दूसरे स्तर पर चुकाये जाने वाले टैक्स से घटा दिया जाएगा और बिल्कुल अंत में उपभोक्ता पर ही टैक्स लगेगा. उपभोग के पहले के स्तर के टैक्स को इनपुट टैक्स कहा जाएगा और ये आगे के स्तर के लिए क्रेडिट का काम करेगा. अब इसे यूं समझ लीजिए:


कच्चे माल की कीमत है 100 रुपये और उस पर जीएसटी की दर है 12 फीसदी, यानी उत्पादक कुल कीमत अदा करेगा 112 रुपये.


अब उत्पादक जो सामान तैयार करता है, उसकी कीमत हो जाती है 120 रुपये और इस पर जीएसटी की दर है 18 फीसदी तो ऐसे में उसे वास्तव में छह फीसदी ही टैक्स चुकाना होगा. यानी सामान की कीमत होगी 127 रुपये 20 पैसे.


जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा तभी मिल सकता है जब सभी ने रजिस्ट्रेशन करा रखा हो, कच्चा माल मुहैया कराने वाले से लेकर उपभोक्ताओं को माल बेचने वाला.


-    जीएसटी की दरें: 5, 12, 18 और 28 फीसदी. इसके अलावा सोना-चांदी के लिए विशेष दर 3 फीसदी है जबकि मंहगी गाड़ियां, लग्जरी गुड्स वगैरह पर 15 फीसदी की दर से अतिरिक्त सेस लगाने का प्रस्ताव है. सेस से जो कमाई होगी, उसका इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी लागू होने की सूरत में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए होगा. उम्मीद है कि सेस से करीब 50 हजार करोड़ रुपये की कमाई होगी.