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बिटक्वॉयन जैसी वर्चुअल करेंसी के लिए तय होंगे कायदे-कानून, सुझाव देने के लिए बनी समिति
नई दिल्लीः सरकार ने आभासी मुद्रा (वर्चुअल करेंसी) को लेकर उपजी चिंता के निवारण के बारे में सुझाव देने के एक समिति गठित की है. आभासी मुद्रा को आम बोलचाल की भाषा में डिजिटल करेंसी, क्रिप्टो करेंसी या फिर बिटक्वॉयन के नाम से जाना जाता है. हाल के दिनों में तो इस मुद्रा की कीमत सोने से भी ज्यादा हो गयी, जिसकी वजह से लोगों ने उसमें गहरी दिलचस्पी दिखायी और पैसा लगाना शुरु किया.
वित्त मंत्रालय का कहना है कि आभासी मुद्रा चिंता का विषय है. इस बारे में समय समय पर रिजर्व बैंक वित्तीय और सुरक्षा समेत विभिन्न खतरों की आशंका को लेकर आगाह करता रहा है. अब इसके लिए कायदे कानून की रुपरेखा तैयार करने के बारे में सुझाव देने का जिम्मा आर्थिक मामलों के विशेष सचिव की अगुवाई वाली समिति को सौंपा गया है. समिति में आर्थिक मामलात विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग, गृह मंत्रालय, सूचना तकनीक मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
समिति मुख्य रुप से
- देश व पूरी दुनिया में आभासी मुद्रा की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेगी
- आभासी मुद्रा के लिए विभिन्न देशों के मौजूदा कायदे-कानून की पडताल करेगी
- आभासी मुद्रा के लेन-देन से उपभोक्ता संरक्षण और मनी लांड्रिंग जैसे मुद्दों से निबटने के बारे में सुझाव देगी
- जरुरत के मुताबिक आभासी मुद्रा से जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में भी विचार करेगी.
- समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है.आभासी मुद्रा, एक ऑनलाइन करेंसी होती है. इसका कोई कागजी दस्तावेज नहीं होता है. इसे खरीदने के लिए संबंधित करेंसी का एप्लीकेशन डाउनलोड करना होता है. एप्लीकेशन के जरिये आप अपने खाते से पैसे चुका करके आभासी मुद्रा खरीद सकते हैं. अगर आप चाहें तो कभी भी एप्लीकेशन पर जाकर अपनी करेंसी बेच भी सकते हैं. देश में कई ई वॉलेट कंपनी आभासी मुद्रा खऱीदने के लिए अपना प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं.
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स्वाति तिवारीस्तंभकार
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