वित्त मंत्रालय का कहना है कि आभासी मुद्रा चिंता का विषय है. इस बारे में समय समय पर रिजर्व बैंक वित्तीय और सुरक्षा समेत विभिन्न खतरों की आशंका को लेकर आगाह करता रहा है. अब इसके लिए कायदे कानून की रुपरेखा तैयार करने के बारे में सुझाव देने का जिम्मा आर्थिक मामलों के विशेष सचिव की अगुवाई वाली समिति को सौंपा गया है. समिति में आर्थिक मामलात विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग, गृह मंत्रालय, सूचना तकनीक मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
समिति मुख्य रुप से
- देश व पूरी दुनिया में आभासी मुद्रा की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेगी
- आभासी मुद्रा के लिए विभिन्न देशों के मौजूदा कायदे-कानून की पडताल करेगी
- आभासी मुद्रा के लेन-देन से उपभोक्ता संरक्षण और मनी लांड्रिंग जैसे मुद्दों से निबटने के बारे में सुझाव देगी
- जरुरत के मुताबिक आभासी मुद्रा से जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में भी विचार करेगी.
- समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है.आभासी मुद्रा, एक ऑनलाइन करेंसी होती है. इसका कोई कागजी दस्तावेज नहीं होता है. इसे खरीदने के लिए संबंधित करेंसी का एप्लीकेशन डाउनलोड करना होता है. एप्लीकेशन के जरिये आप अपने खाते से पैसे चुका करके आभासी मुद्रा खरीद सकते हैं. अगर आप चाहें तो कभी भी एप्लीकेशन पर जाकर अपनी करेंसी बेच भी सकते हैं. देश में कई ई वॉलेट कंपनी आभासी मुद्रा खऱीदने के लिए अपना प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं.
ध्यान रहे कि आभासी मुद्रा को ना तो सरकार की मान्यता है और ना ही रिजर्व बैंक की. बिटक्वॉयन के रुप में आभासी मुद्रा काफी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. फरवरी, 2016 में इसकी कीमत जहां 25000 रुपये थी वहीं अभी इसकी कीमत करीब 89000 रुपये है. ये भी गौर करने की बात है कि इस तरह की मुद्रा में आप अपने जोखिम पर पैसा लगाते हैं. नुकसान होने या धोखा होने पर कहीं से कोई मदद नही मिलने वाली.