Independence Day 2023 Special: 100-200 नहीं पूरे 20 हजार फीसदी की ग्रोथ, 76 सालों में ऐसे मल्टीबैगर बना भारत
India GDP 1947 to 2023: 1947 से 2023 के बीच इन 76 सालों का सफर भारत के लिए कई मायनों में अविस्मरणीय रहा है. आइए देखते हैं कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश ने इन 76 सालों में क्या-क्या हासिल किया है...
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अगस्त...आजादी का महीना. इस महीने की 15 तारीख आते ही देश को आजाद हुए 76 साल हो जाएंगे. भारत की गिनती अभी भी विकसित देशों में भले ही नहीं होती है, लेकिन इन 76 सालों में देश ने असाधारण तरक्की की है. अपने लोगों का पेट भरने के लिए जो देश अनुदान के अनाजों की राह तकता था, आज उसकी गिनती इकोनॉमिक पावरहाउस के रूप में होती है और उस ग्लोबल ग्रोथ का इंजन बताया जाता है. आइए आज जानते हैं भारत की 76 सालों की यह शानदार कहानी...
मल्टीबैगर शेयरों जैसी कहानी
हम लोगों ने आपको लगातार मल्टीबैगर शेयरों की कहानी बताई है. इन्वेस्टर के पैसे को डबल-ट्रिपल करने वाले शेयरों की कहानी, 100-200-400 से लेकर 1000-2000 फीसदी ग्रोथ देने वाले शेयरों की कहानी. आज की कहानी शेयरों की नहीं है, लेकिन मल्टीबैगर होने की तमाम परिभाषाओं पर सौ फीसद मार्क्स के साथ यह कहानी खरी जरूर साबित होती है. यह कहानी है उभरते भारत की... उस भारत की, जो न सिर्फ खड़ा हो गया है, बल्कि पूरी रफ्तार से अब दौड़ चला है... उस इकोनॉमी की, जिसने बीते 76 सालों में 100-200 नहीं बल्कि 20 हजार फीसदी की ग्रोथ दिखाई है...
पीछे छूट चुका है ब्रिटेन
सबसे पहले आज की तस्वीर और गुजरे जमाने की तस्वीर को एक साथ रखकर देख लेते हैं. 15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब भारत आजाद हुआ, उस समय देश की अर्थव्यवस्था का आकार 2.7 लाख करोड़ रुपये था. इस साल यानी 2023 में भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़कर 272 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. जब भारत आजाद हुआ, वह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. अभी भारत पिछले साल ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. मजेदार बात है कि भारत ने इस दौरान उस ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ा है, 15 अगस्त 1947 तक भारत पर जो शासन कर रहा था.
रुपये में आकंड़े को देखने पर पूरी तस्वीर सही से साफ नहीं हो पाती है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका का डॉलर ग्लोबल करेंसी की भूमिका हासिल कर चुका था. अभी भी अमेरिकी डॉलर ही ग्लोबल करेंसी की हैसियत रखता है. यही कारण है कि आईएमएफ हो या वर्ल्ड बैंक, भारत हो या चीन... जीडीपी के फिगर के लिए डॉलर का ही प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं. तो आइए एक बार डॉलर में तस्वीर देख लें. ऊपर आपने चार्ट में देख ही लिया है कि 1947 में 1 डॉलर 3.30 रुपये के बराबर था, जो अभी 83 रुपये के आस-पास पड़ रहा है.
डॉलर के हिसाब से सन 47 में भारत की इकोनॉमी का साइज था महज 20 बिलियन डॉलर. उसे 10 गुना होने यानी 200 बिलियन डॉलर तक पहुंचने में 35 साल से ज्यादा का समय लग गया. आजाद भारत के आर्थिक इतिहास को देखने के लिए साल 1991 एक आधार बिंदू की तरह काम करता है. 1991 का साल इस कारण अहम हो जाता है कि तभी भारत ने उदारीकरण के साथ जाने का फैसला किया था. उससे पहले तक भारत की आर्थिक नीतियां पूंजीवाद और समाजवाद के मिश्रण से तय हो रही थीं.
उदारीकरण के समय भारत की अर्थव्यवस्था का साइज 325 बिलियन डॉलर के आस-पास था. यानी 1947 से उस समय तक के 44 सालों में भारत ने 20 बिलियन डॉलर से 325 बिलियन डॉलर का सफर तय किया था. उदारीकरण के बाद अभी भारत को 32 साल हो रहे हैं. इन 32 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था 325 बिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर यानी 4000 बिलियन डॉलर पर पहुंचने वाली है. शुरुआत यानी सन 47 से तुलना करें तो यह 200 गुना ग्रोथ है...19,900 फीसदी की जबरदस्त तरक्की है.
जीडीपी साइज | साल |
20 बिलियन डॉलर | 1947 |
37 बिलियन डॉलर | 1960 |
62.5 बिलियन डॉलर | 1970 |
186 बिलियन डॉलर | 1980 |
321 बिलियन डॉलर | 1990 |
360 बिलियन डॉलर | 1995 |
468 बिलियन डॉलर | 2000 |
820 बिलियन डॉलर | 2005 |
1 ट्रिलियन डॉलर | 2007 |
2 ट्रिलियन डॉलर | 2014 |
3 ट्रिलियन डॉलर | 2021 |
4 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान) | 2023 |
अब यहां पर एक बात आती है कि जब दुनिया में भारत का स्थान 1947 में छठा था और अभी हम 5वें पर हैं, तो ये तो सिर्फ 1 पायदान की तरक्की हुई... इसमें भला कौन सी बड़ी बात है? इन 76 सालों के अंतराल को थोड़ा तोड़-तोड़ कर देखने पर यह बात भी साफ हो जाती है. हम अगस्त 1947 में चलते हैं. भारत अभी-अभी आजाद हुआ है. दुनिया के लिए दूसरा विश्वयुद्ध हाल ही में समाप्त हुआ है. हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. अव्यवस्था से नई व्यवस्था की ओर बढ़ते हैं. साल 1950 आता है, हम अब भी छठे पायदान पर हैं. अब हालात ये है कि दुनिया तरक्की कर रही है, हम भी कर रहे हैं, लेकिन बाकी देशों की रफ्तार हमसे ज्यादा है. एक-एक कर कई देश हमसे आगे निकलते जाते हैं और जब भारत में उदारीकरण की शुरुआत हो रही होती है, हम 12वें पायदान पर होते हैं. इस दौरान ईरान, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देश भी हमसे आगे निकल जाते हैं. हम दुनिया में छठे पायदान पर आजाद हुए थे और जब भारत उदारीकरण को गले लगा रहा था, उस समय हम एशिया में छठे पायदान पर थे. अब वहां से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सफर देखिए और फ्रांस-ब्रिटेन को भी पीछे छूटते देखिए...
भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था और उसकी रफ्तार शानदार है. पूरी दुनिया के तमाम संस्थान इस तेज रफ्तार की प्रशंसा कर चुके हैं. अगले 1-2 साल में भारत जापान से आगे निकल जाएगा और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था व एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. जब हम आजादी के 80 साल पूरे करेंगे, यह बात नई हकीकत बन चुकी होगी. और आजादी के 85 साल पूरे करते-करते हम यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएंगे. कुछ आकलन आने वाले 40-50 सालों में भारत को अमेरिका और चीन से भी आगे निकलते दिखाते हैं.
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