Hardeep Singh Puri: भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ऑयल एंड गैस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में थे. अबु धाबी में उन्होंने वैश्विक कच्चे तेल की खरीद में भारत की हिस्सेदारी सहित तेल कीमतों को लेकर भारत के रुख पर खुलकर बात की. रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत की क्या योजना रही और कैसे इसके जरिए देश ने अपने नागरिकों के हितों को तो सबसे ऊपर रखा ही- वैश्विक हितों को भी पूरा किया वर्ना 2008 जैसी स्थिति की आशंका को टाला नहीं जा सकता था.
कच्चे तेल के बढ़ते दाम संगठित वित्तीय संकट ला सकते हैं- हरदीप सिंह पुरी
ADIPEC ऑयल एंड गैस कॉन्फ्रेंस में भाग लेते हुए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ग्लोबल कच्चे तेल की कीमतों में आ रहे उछाल पर चिंता जताते हुए आशंका जताई थी कि 2008 जैसा आर्थिक संकट फिर से देखा जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार कच्चे तेल के बढ़ते दाम ऐसा संगठित संकट ला सकते हैं जो लंबे समय तक चल सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से अपने नागरिकों को सस्ता ईंधन और पेट्रोल-डीजल मुहैया कराना है.
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें 2008 जैसी आर्थिक दुर्घटना के दोबारा होने की वजह बन सकती हैं
हरदीप सिंह पुरी ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले पर खुलकर बात करते हुए भरोसा दिलाया है कि ये किसी भी तरह से किसी देश के खिलाफ नहीं है बल्कि भारत के अपने नागरिकों के प्रति जिम्मेदारियों के वहन करने का प्रतीक है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं भारत की रूसी तेल खरीद पर पश्चिमी पाखंड की निंदा करता हूं मैं बता सकता हूं कि कैसे ग्लोबल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें 2008 जैसी आर्थिक दुर्घटना के दोबारा होने की वजह बन सकती हैं!
10 करोड़ लोग गरीबी रेखा में धकेल दिए गए - हरदीप सिंह पुरी
एक निजी चैनल से बात करते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वैश्विक कच्चे तेल की उपलब्धता में 50 लाख बैरल तेल रोजाना कम किया जा रहा है और इसका असर साफ तौर पर गरीब देशों पर तो आएगा- विकसित देश भी नहीं बच पाएंगे. कच्चे तेल की अवेलिबिलिटी कम होने का असर साल 2008 में देखा जा चुका है. और इस बार रूस-यूक्रेन के बीच की स्थितियों के कारण करीब 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा में धकेल दिए गए हैं. इसकी वजह से इन्हें कच्चे तेल से जुड़े ईंधन उत्पादों की जगह पुराने पारंपरिक फ्यूल की तरफ लौटना पड़ सकता है चाहे वो लकड़ी हो या गंदा कोयला- ये बेहद भयानक होगा.
भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदना बंद करने के होंगे भयानक परिणाम
रूस पूरे वैश्विक कच्चे तेल के उत्पादन का 10 फीसदी रोजाना प्रोड्यूस करता है और अगर भारत और 1-2 देश रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दे तो ओपेक के जनरल सेक्रेटरी भी इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि ग्लोबल तौर पर क्रूड ऑयल के दाम 250 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचे होते. साफ तौर पर इसका ग्लोबल असर देखा जाएगा. कई पश्चिमी एक्सपर्ट से बात करते हुए ये साफ हुआ है कि अगर भारत की रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद नहीं होती तो वैश्विक बाजारों में मंदी का आलम दिखाई देता. पश्चिमी देशों के कई इंटेलेक्चुएल्स ने कहा है कि भारत को रूस से जितने सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदना है वो खरीदता रहे.
100 डॉलर प्रति बैरल से महंगा कच्चा तेल किसी के हित में नहीं
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाना ना तो तेल उत्पादक देशों के हित में हैं और ना ही तेल कंज्यूमर देशों या किसी और के हित में है. ऐसा होने पर लंबे समय तक चलने वाली अफरातफरी का माहौल बन जाएगा.