फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का ITR फाइल करने के लिए अब बहुत कम समय बचा है. इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन 31 जुलाई 2023 है, जो अब बस 10 दिन दूर है. अभी तक 3 करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर चुके हैं, लेकिन अभी भी करोड़ों लोगों ने रिटर्न फाइल नहीं किया है. अगर आपने भी अब तक रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो अब और देरी न करें.


मूनलाइटिंग के मामले का पूरा गुणा-गणित


इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में हो रही देरी की सबसे मुख्य वजह है कि बहुत सारे लोग अब भी खुद से अपना रिटर्न नहीं भर पाते हैं. यह अमूमन इस कारण होता है कि टैक्सपेयर विभिन्न स्रोतों से हुई आय को दिखाने का तरीका नहीं जानते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही स्थिति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे कॉरपोरेट की दुनिया में मूनलाइटिंग के नाम से जाना जाता है.


क्या है मूनलाइटिंग और क्यों करते हैं लोग


सबसे पहले मूनलाइटिंग को समझते हैं. नौकरी के अलावा एडिशनल इनकम के लिए आपने जो काम किया, उसे मूनलाइटिंग कहते हैं. आसान शब्दों में कहें तो मान लीजिए कि आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं. आपकी ड्यूटी 9 घंटे की है. आप ऑफिस का काम खत्म कर घर लौटते हैं. उसके बाद फ्रीलांस के तौर पर किसी दूसरी कंपनी या वेंडर के लिए काम करते हैं. यहां आपने घर आकर जो काम किया उसे ही मूनलाइटिंग कहते हैं और इससे होने वाली कमाई को मूनलाइटिंग से इनकम.


मूनलाइटिंग के लिए आयकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है, लेकिन इसका कतई ये मतलब नहीं है कि इस कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. एक्स्ट्रा इनकम पर टैक्स इस पर निर्भर करता है कि कमाई किस तरह की है. मतलब ये सैलरी इनकम है, प्रोफेशनल फीस है या बिजनेस इनकम है. यही फॉर्मूला यहां भी लागू होगा.


इस बात पर निर्भर करेगा टैक्स


अगर मूनलाइटिंग से कमाई सैलरी के रूप में मिलती है तो रिटर्न में इसे मेन कंपनी की सैलरी के साथ 'सैलरी' हेड में दिखाना होगा. डिडक्शन और एग्जम्प्शन के बाद बनी कमाई जिस टैक्स स्लैब में आएगी, उस रेट से टैक्स देना होगा. स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80C, 80D जैसे डिडक्शन आप एक ही बार क्लेम कर पाएंगे.


अगर दूसरे काम से होने वाली कमाई फ्रीलांस वर्क या प्रोफेशनल फीस के रूप में होती है तो यह बिजनेस और प्रोफेशन से आय के दायरे में आएगी. इस पर बिजनेस और पेशे से हुई कमाई की तरह टैक्स लगेगा.


कौन सा आइटीआर फॉर्म चुनें


मूनलाइटिंग से कमाई अगर सैलरी के तौर पर मिल रही है तो इसे ITR-1 में दिखाना होगा. अगर कुल इनकम 50 लाख रुपए से ज्यादा है, किसी तरह का कैपिटल गेन है तो ITR-2 फॉर्म लगेगा. इसी तरह, बिजनेस या प्रोफेशनल फीस से अतिरिक्त कमाई हुई है और प्रिजम्पटिव टैक्स स्कीम (PTS) चुनते हैं तो ITR-4 भरना होगा. प्रोफेशनल फीस के रूप में मिली कुल रकम 50 लाख से ज्यादा होने पर ITR-3 में इस कमाई को दिखा सकते हैं.


ऐसे मिलेगा सबसे ज्यादा टैक्स लाभ


अगर आप ज्यादा से ज्यादा टैक्स बेनेफिट का लाभ उठाना चाहते हैं तो मूनलाइटिंग से कमाई को प्रोफेशनल फीस के रूप में दिखाना चाहिए. इसका फायदा यह है कि इस काम में हुए खर्च को एक्सपेंस के रूप में दिखाया जा सकता है. इसके अलावा, इनकम पर टैक्स कैलकुलेट कर आपको समय से एडवांस टैक्स की चारों किस्तें भरनी चाहिए.


न करें इनकम को छुपाने की गलती


मूनलाइटिंग के मामलों में कंपनी या वेंडर पेमेंट करते समय टैक्स यानी TDS काटता है. इस रकम को सरकार के पास जमा किया जाता है. इसका मतलब हुआ कि सरकार के पास आपकी इस कमाई की जानकारी पहुंच जाती है. ऐसे में मूनलाइटिंग से कमाई को छिपाने की जगह उसे रिटर्न में दिखाएं और टैक्स भरें, वर्ना आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है. इसे टैक्स चोरी माना जा सकता है.


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