HDFC भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर का बैंक है, जिसमें हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड का मर्जर इस साल जुलाई में हो जाएगा. एचडीएफसी बैंक के मर्जर को लेकर सबसे बड़ा सवाल है कि इससे ग्राहकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा. खासकर उन लोगों पर, जिन्होंने बैंक से कर्ज लिया है.
मर्जर के बाद इसे एचडीएफसी बैंक के नाम से जाना जाएगा. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक के मौजूदा ग्राहकों पर शायद ही कोई खास असर पड़ेगा. हालांकि सबसे बड़े प्राइवेट होम लोन कर्जदाता एचडीएफसी के कस्टमर्स पर इसका असर देखने को मिल सकता है.
HDFC होम लोन कर्जदाताओं पर क्या होगा असर
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी का होम लोन पोर्टफोलियो बैंकिंग इकाई एचडीएफसी बैंक में ट्रांसफर किया जाएगा. होम लोन बैंक से गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) में अलग होता है. अक्टूबर 2019 से बैंकों को सभी फ्लोटिंग-रेट खुदरा कर्जों पर ब्याज दरों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना आवश्यक है. वहीं दूसरी ओर NBFC को अपने रिटेल लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ना नहीं होता है.
होम लोन लिंक्ड होने पर कम होगा ब्याज
ऐसे में जब दोनों का मर्जर होगा तो रिटेल लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ा जाएगा. इसका मतलब है कि होम लोन का ब्याज दर एक्सटर्नल बेंचमार्क से अगले 6 महीने में जुड़ेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि जब लोन को ट्रांसफर किया जाएगा तो इसमें ट्रांसपैरेंसी आएगी. बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) से लिंक्ड होने के बाद लोन का स्ट्रक्चर बदल जाएगा और ईमएआई में कटौती या फिर ब्याज दर में कमी का लाभ भी मिलेगा.
एचडीएफसी होम लोन नियम और शर्तें
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एचडीएफसी लोन नियम और शर्तों में बदलाव की संभावना नहीं है और कर्जदाता अपने वर्तमान रिपेमेंट के अनुसार अपनी ईएमआई का भुगतान करना जारी रख सकते हैं.
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