एचडीएफसी एर्गो और स्टार हेल्थ समेत 20 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटिस भेजे हैं. ये नोटिस स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स (सेज) में काम कर रही इंश्योरेंस कंपनियों को भेजे गए हैं और उनसे 2 हजार करोड़ रुपये के टैक्स बकाए की मांग की गई है.


इन जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के नाम


ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन 20 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को जीएसटी के बकाए के लिए नोटिस भेजे गए हैं, उनमें एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी, स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस, चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी शामिल हैं. उन सभी कंपनियों को जीएसटी डिपार्टमेंट की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.


इंटीग्रेटेड जीएसटी के लिए भेजे गए नोटिस


रिपोर्ट में मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि डायरेक्टरेट ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) की ओर से बीमा कंपनियों को भेजे गए नोटिस इंटीग्रेटेड जीएसटी की देनदारी को लेकर है. इंटीग्रेटेड जीएसटी एक्ट के सेक्शन 16 के तहत सेज में की गई आपूर्ति या निर्यात पर टैक्स नहीं लगता है. हालांकि ये नोटिस सेज में काम कर रही औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों व उनके परिजनों को दी गई सर्विस को लेकर है.


30 कंपनियों को मिले थे 5,500 करोड़ के नोटिस


यह पहला मामला नहीं है, जब बीमा कंपनियां जीएसटी के बकाए को लेकर टैक्स डिपार्टमेंट की रडार पर आई हैं. इससे पहले करीब 30 बीमा कंपनियों को 5,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स बकाए को लेकर नोटिस भेजे गए थे. उस समय टैक्स डिपार्टमेंट ने बीमा कंपनियों के खिलाफ एजेंट को कमीशन के भुगतान में गड़बड़ियों का आरोप लगाया था, जिसका बीमा कंपनियों ने विरोध किया था.


इस हिसाब से डिपार्टमेंट ने बनाई देनदारी


डायरेक्टरेट ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस के अनुसार, सेज में स्थित यूनिट के कर्मचारियों व उनके परिजनों को दी गई सेवाओं पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी की देनदारी बनती है. इसी आधार पर टैक्स बकाए को कैलकुलेट किया गया है. डीजीजीआई के इस कैलकुलेशन के हिसाब से बीमा कंपनियों के ऊपर लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बन रही हैं. अभी बीमा कंपनियों की ओर से इस नोटिस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.


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