Insurance Ombudsman: हेल्थ इंश्योरेंस कराते समय आपके साथ लंबे-चौड़े वादे किए गए थे. आपने हेल्थ इंशेयोरेंस करा भी लिया. परंतु, जब आप या आपका कोई सगा बीमार पड़ा तो क्लेम देते वक्त इंश्योरेंस कंपनी ने इतने नियम-कानूनों की पट्टी आपको पढ़ाई होगी कि आप दंग रह गए होंगे. आखिरकार कंपनी ने आपके क्लेम या तो रिजेक्ट कर दिए या बिल्कुल ही थोड़ी सी राशि दी. ऐसे में आप थक-हारकर बैठ गए और मान लिया कि आपके पास इंश्योरेंस कंपनी की बात मानने के अलावा और कोई उपाय नहीं है. परंतु आपके पास एक रास्ता और भी बचा है, वह है ओम्बड्समैन यानी लोकपाल के पास शिकायत करने का. वहां से आपको न्याय मिल सकता है.
50 फीसदी इंश्योरेंस क्लेम के पूरे या बड़े हिस्से होते रिजेक्ट
हाल ही में लोकल सर्कल नामक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 50 फीसदी से अधिक हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम पूरी तरह से या अधिकांश रिजेक्ट हो जाते हैं. इंश्योरेंस ओम्बड्समैन के पास भी जो शिकायतें आती हैं, उनमें से 95 फीसदी इंश्योरेंस क्लेम के पूरी तरह से रिजेक्ट कर देने या कम देने से संबधित रहती हैं. 2023-24 के इंश्योरेंस ओम्बड्समैन की सालाना रिपोर्ट से यह सामने आया था. अगर आप भी महसूस करते हैं कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम गलत तरीके से रिजेक्ट किया गया है तो इसके समाधान के लिए इंश्योरेंस ओम्बड्समैन के पास जरूर जाएं. यह इसलिए भी जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम का रिजेक्शन हाई लेवल पर होना नवंबर से ही हेडलाइन बन रही है. इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी अभी हाल ही में जेनरल, हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के क्लेम सेटलमेंट ट्रैक से संबधित डाटा जारी किया था.
अनरिजनेबल चार्जेज क्लेम रिजेक्शन का सबसे बड़ा बहाना
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का सबसे बड़ा बहाना हॉस्पिटल के अनरिजनेबल चार्जेज का होता है. इंश्योरेंस ओम्बड्समैन की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि इंश्योरेंस कंपनियों को अपने टर्म एंड कंडीशन में सबकुछ साफ-साफ लिखा रहना चाहिए, जिससे कस्टमर धोखा नहीं खाए.
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