Health Insurance Claim: आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों की दिनचर्या तेजी से बदल रही है. लोग पहले के मुकाबले ज्यादा बीमार भी पड़ने लगे हैं. अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगने लगी है. इलाज में हो रहा खर्च भी अब बढ़ने लगा है और इसके क्लेम में भी वृद्धि होने लगी है. पीबी फिनटेक द्वारा संचालित पॉलिसीबाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते तीन सालों में हेल्थ इंश्योरेंस के औसत क्लेम पेआउट में 30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है.
कोविड के बाद ट्रीटमेंट हुआ महंगा
गुरुग्राम की एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने सालाना 15,000-20,000 क्लेम के निपटान का दावा किया है और तो और वित्त वर्ष 2025 में क्लेम की गई राशि का औसतन 81,000 रुपये रही. आंकड़ों से पता चला है कि इनमें तमिलनाडु से सबसे अधिक 1.13 लाख रुपये का क्लेम किया गया.
पॉलिसीबाजार में स्वास्थ्य बीमा के प्रमुख सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, "कोविड के बाद ट्रीटमेंट की लागत में काफी वृद्धि हुई है, जो चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है। साथ ही ग्राहक अपने हेल्थ इंश्योरेंस में कंज्यूमेबल कवरेज की लागत को भी शामिल करने की चाह में ऐड-ऑन कवर का विकल्प चुन रहे हैं, जिससे क्लेम की राशि में इजाफा हो रहा है।"
युवा कर रहे अधिक क्लेम
यह देखा गया कि वित्तीय वर्ष 2023 में क्लेम करने वालों की संख्या औसतन 4.9 से बढ़कर 6.4 हो गई है। ऐसा माना जाने लगा है कि लोग हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर काफी जागरूक होने लगे हैं. आज के समय में डेंगू जैसी मौसमी बीमारियों के लिए भी लोगों को साल में कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है.
ऐसा देखा गया कि अधिकतर क्लेम लगभग 38 फीसदी 18-35 साल के युवा कर रहे हैं. बीमा कंपनियों की नजर इन आंकड़ों पर बनी रहती है क्योंकि क्लेम पर खर्च की गई राशि उनकी लागत का एक बड़ा हिस्सा है. ऐसे में पॉलिसी को इस तरह से डिजाइन किए जाने के बारे में विचार किया जा रहा है, जिससे कि अलग-अलग कैटेगरी और कवरेज के लिए ग्राहकों को अधिक भुगतान करने के लिए कहा जा सके.
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