Health Insurance GST: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी के मुद्दे पर हंगामे के बीच टैक्स की दर कम करने का निर्णय अब जीएसटी काउंसिल के पाले में चला गया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक 9 सितंबर को होने वाली है और केवल 4 दिन बचे हैं जब आपको हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स से कितनी राहत मिलेगी, उसका फैसला हो जाएगा. फिटमेंट कमिटी ने प्रीमियम को एक दम से कम करने का सुझाव देने से बचते हुए काउंसिल को कई विकल्पों का सुझाव दिया है और अंतिम निर्णय उसी के हिस्से में छोड़ दिया है.
नितिन गडकरी भी कर चुके हैं ये डिमांड
जीएसटी काउंसिल नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. विपक्षी पार्टियां तो इस पर हंगामा कर ही रही हैं, मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं. बीते दिनों उन्होंने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी कम करने को लेकर वित्त मंत्रालय को पत्र भी लिखा था.
फिटमेंट कमिटी ने काउंसिल पर छोड़ा फैसला
फिटमेंट कमिटी इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दर में बदलाव पर विचार कर रही थी. इस कमिटी में केंद्र और राज्य सरकारें दोनों के राजस्व अधिकारी शामिल होते हैं. कमिटी ने अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल के ऊपर छोड़ते हुए विभिन्न विकल्पों का सुझाव दिया है. कमिटी ने अपने सुझाव में यह भी बताया है कि उसके द्वारा गए सुझाए गए विकल्पों को आजमाने की स्थिति में राजस्व पर किस तरह का असर हो सकता है.
जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव
अभी हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है. वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने जीएसटी की दर को घटाकर 5 फीसदी (बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के) करने का प्रस्ताव दिया है. अगर प्रीमियम पर जीएसटी की दर को कम किया जाता है, तो ऐसे में हर किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना सस्ता हो जाएगा, क्योंकि उन्हें कम प्रीमियम का भुगतान करना होगा.
सरकार को अभी हो रही इतनी कमाई
वित्त वर्ष 2022-23 के आंकड़े बताते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम का टोटल आंकड़ा 90 हजार करोड़ रुपये के पार रहा था. 90,032 करोड़ रुपये के टोटल प्रीमियम कलेक्शन में इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस का अकेले का योगदान 35,300 करोड़ रुपये का रहा था. जीएसटी की मौजूदा 18 फीसदी दर के हिसाब से इस प्रीमियम कलेक्शन पर सरकार को टैक्स के रूप में 6,354 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. टैक्स की दर कम करने से सरकार का यह राजस्व प्रभावित हो सकता है.
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