हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को भविष्य की तैयारियों और निवेश एवं बचत के लिहाज से काफी जरूरी माना जाता है. समय के साथ हेल्थ इंश्योरेंस के फायदे भी बढ़ रहे हैं. अब इरडा (IRDAI) के एक ताजा निर्देश से हेल्थ इंश्योरेंस लोगों के लिए और फायदेमंद हो जाएगा.


करना होगा इन दो एक्ट का पालन


बिजनेस टुडे की एक खबर के अनुसार, बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे उन परिवारों को सरोगेसी के खर्च के लिए भी कवरेज प्रदान करें, जो किसी मेडिकल कंडीशन के चलते बच्चे नहीं होने की समस्या से परेशान हैं. नियामक ने इसके लिए सभी बीमा कंपनियों को सरोगेसी एक्ट 2012 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एक्ट 2021 का पालन करने को कहा है.


तत्काल प्रभाव से शुरू करें अमल


इरडा ने बीमा कंपनियों को साफ-साफ कहा है कि वे इन दोनों अधिनियमों का पालन तत्काल प्रभाव से शुरू कर दें और इस बात का ध्यान रखें कि उचित प्रोडक्ट उपलब्ध हों. सरोगेसी एक्ट का सेक्शन 4 सरोगेसी के खर्च के लिए इंश्योरेंस कवरेज का प्रावधान करता है. इस कवरेल में डिलीवरी के बाद होने वाली दिक्कतों के इलाज के खर्च भी शामिल हैं.


क्या कहता है सरोगेसी कानून


सरोगेसी नियमन काननू का नियम 5 कहता है कि जो दंपति सरोगेसी से बच्चे पैदा करना चाह रहे हों, उन्हें सरोगेट मदर के लिए 36 महीनों का जनरल हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना होगा. यह इंश्योरेंस इरडा से मान्यता प्राप्त किसी बीमा कंपनी या बीमा एजेंट से खरीदा जा सकता है. नियम में यह भी कहा गया है कि इंश्योरेंस की रकम इतनी होनी चाहिए, जो गर्भ व डिलीवरी के कारण होने वाली किसी भी दिक्कत के इलाज में पर्याप्त हो.


अनुपालन से इन्हें होगा लाभ


इरडा के इस दिशानिर्देश को सरोगेसी के लिए काफी बढ़िया माना जा रहा है. इस दिशानिर्देश से सरोगेसी से जुड़े इंश्योरेंस को लेकर स्थितियां साफ होंगी. इससे एक ओर वैसे लोगों को फायदा और सहूलियत होगी, जिन्हें बच्चे नहीं हो पा रहे हैं और वे सरोगेसी का तरीका अपनाना चाहते हैं. वहीं दूसरी ओर सरोगेट मदर्स के लिए डिलीवरी के बाद भी एक तय समय तक के लिए स्वास्थ्य संबंधी कोई तनाव नहीं रहेगा.


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