यूक्रेन संकट लंबा चला और क्रूड के बढ़ते दाम नहीं रुके तो भारत पर दिखेगा असर, इंपोर्ट बिल में 15 फीसदी उछाल की आशंका
भारत के आयात में बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का है और अगर यूक्रेन के साथ रूस का युद्ध लंबा चला तो वैश्विक क्रूड की कीमतों में उछाल आएगा. इसका सीधा असर भारत के इंपोर्ट बिल पर आएगा जो 15 फीसदी बढ़ सकता है.
यूक्रेन संकटः रूस (Russia) ने कल यूक्रेन पर हमला (Attack on Ukraine) करके विश्व के सभी देशों को चिंता में डाल दिया है क्योंकि इस लड़ाई के असर से कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ रहा है. क्रूड में उछाल सभी देशों के लिए चिंताजनक है और आर्थिक जानकारों का मानना है कि भारत के लिए ये खबर और ज्यादा खराब साबित हो सकती है.
2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल के दाम 105 डॉलर पर आए
कल ब्रेंट क्रूड के दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए जो 8 सालों का सबसे उच्चतम स्तर है. 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड के दाम इस स्तर पर आ गए हैं और भारत के लिए दामों का इतना बढ़ना निश्चित तौर पर निगेटिव खबर है. इसके चलते भारत की क्रूड बास्केट का आयात बेहद महंगा होने वाला है.
रूस पर लगे प्रतिबंधों से कई देशों पर आएगा असर
रूस विश्व का दूसरे नंबर का तेल निर्यातक देश है और ये यूरोप को नैचुरल गैस की सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है. युद्ध की स्थिति और अमेरिका ने जो प्रतिबंध रूस पर लगा दिए हैं, उसके कारण इन दोनों ही निर्यात पर असर देखा जाएगा और विश्व के कई देश प्रभावित होंगे.
भारत का इंपोर्ट बिल 15 फीसदी बढ़ने की आशंका
आने वाले समय में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर या उससे ऊपर ही रहने की आशंका है और इस स्थिति में तब तक सुधार नहीं आएगा जब तक ओपेक देश अपने तेल की सप्लाई बढ़ाने का फैसला नहीं लेते हैं. आर्थिक जानकारों का कहना है कि पिछले 3 महीनों से ओपेक देश अपने लक्ष्य के मुताबिक तेल का निर्यात नहीं कर रहे हैं और इस वजह से कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल या इससे अधिक ही रहने के आसार हैं. इसके चलते भारत का इंपोर्ट बिल 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकता है क्योंकि देश अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध लंबा खिंचना भारत के लिए चिंता की बात
विश्व में खपत किए जाने वाले हरेक 10 बैरल में से 1 बैरल का हिस्सा रूस का होता है और अगर यूक्रेन के साथ युद्ध लंबा खिंचता है तो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात हो सकती है. इसका कारण ये है कि तेल की कीमतों को तय करने में इसका बड़ा हाथ है और रूस पर लगने वाले प्रतिबंधों से ये देश निर्यात कम कर पाएगा. यूक्रेन युद्ध संकट लंबा चलने की स्थिति में भारत को महंगा तेल आयात करना होगा जिसके चलते देश का आयात बिल 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकता है.
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