Education Loan Interest : अगर आप भी एजुकेशन लोन (Education Loan) लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बता दें कि अब बैंक विशेष सावधानी बरतने जा रहे हैं. मालूम हो कि एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो (Education Loan Portfolio) में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) करीब 8 प्रतिशत तक बढ़ गया है. देशभर में अब ऐसे लोन अकाउंट ज्यादा हो गए हैं, जो अपनी किस्त समय पर नहीं दे सके हैं. इसके चलते बैंक अब काफी सतर्क हैं और इस तरह के कर्ज की मंजूरी देने में विशेष सावधानी बरत रहे हैं.


NPA हुआ 82,723 करोड़ 


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सहित अन्य बैंकों के एजुकेशन लोन कैटेगरी में NPA चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही के अंत में 7.82 फीसदी रहा था. जून महीने के अंत तक बकाया एजुकेशन लोन करीब 80,000 करोड़ रुपये था.


सरकारी बैंक सूत्रों के अनुसार ज्यादा एनपीए के कारण से एजुकेशन लोन की मंजूरी देने में बैंक शाखाओं के स्तर पर सतर्कता शुरू हो गई है. मार्च 2020 तक सभी बैंकों का एजुकेशन लोन बकाया मिलाकर कुल 78,823 करोड़ रुपये था, जो 25 मार्च 2022 तक बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया है. वित्त मंत्रालय ने एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो का जायजा लेने के लिए हाल में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैठक बुलाई थी.


कमर्शियल बैंक का NPA ज्यादा


आरबीआई (RBI) के एक पत्र के अनुसार भारत में कमर्शियल बैंकों द्वारा दिए एजुकेशन लोन के एनपीए में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि हुई है जो चिंता का विषय है और देश में उच्च शिक्षा के लिए बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में वृद्धि काफी प्रभावित हो सकती है.


जून माह 2022 में जारी इस पत्र में कहा गया कि भारत में करीब 90 फीसदी एजुकेशन लोन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देते हैं. मार्च 2020 तक एजुकेशन लोन के कुल बकाया में निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी करीब 7 फीसदी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 3 फीसदी है.


ये है वजह 


रिसर्जेंट इंडिया में मैनेजिंग डायरेक्टर (Managing Director at Resurgent India) ज्योति प्रकाश गादिया का कहना है कि कॉलेजों से निकलने वाले ग्रेजुएट की संख्या नए रोजगार सृजन की तुलना में कहीं ज्यादा है, जिसके कारण एजुकेशन का समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है.


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