Madhabi Puri Buch: सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने रविवार को कहा है कि हिंडनबर्ग को हमारी तरफ से कई बार कारण बताओ नोटिस भेजे गए थे. मगर, उन्होंने इनका जवाब नहीं दिया. इसके बदले में उन्होंने सेबी जैसी प्रतिष्ठित संस्था की साख पर सवाल खड़े किए हैं. ये बेहद दुखद है कि इन नोटिस का जवाब देने की जगह हिंडनबर्ग ने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला बोलना और चरित्रहनन करना चुना है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी चेयरपर्सन पर भी निजी हमला किया है. हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात तथाकथित दस्तावेज के हवाले से एक रिपोर्ट जारी कर सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच (Dhaval Buch) पर कई आरोप लगाए थे.

  


हमने अपनी सैलरी, बोनस और स्टॉक के बारे में हमेशा जानकारी दी


माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने 11 अगस्त, रविवार को हिंडनबर्ग के आरोपों का विस्तृत जबाव दिया है. इसमें उन्होंने कहा कि सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ी हैं. उनके पास बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में दो दशक से ज्यादा का अनुभव है. वहीं, धवल बुच आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे हैं. उनका कैरियर 35 साल का है. हमने अपनी सैलरी, बोनस और स्टॉक के बारे में हमेशा जानकारी दी है.


सेबी ज्वॉइन करने से 2 साल पहले किया गया था निवेश 


साल 2010 से 2019 तक धवल बुच यूनीलिवर में काम करते हुए लंदन और सिंगापुर में रहे. साल 2011 से मार्च, 2017 तक माधबी पुरी बुच सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फर्म में काम कर रही थीं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिस निवेश का उल्लेख किया गया है, वह 2015 में किया गया. उस दौरान माधबी पुरी बुच और धवल बुच सिंगापुर में रहते थे. सेबी ज्वॉइन करने से 2 साल पहले यह निवेश किया गया था. साथ ही धवल बुच के बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर इस फंड में निवेश किया गया था. साल 2018 में जब आहूजा ने अपना पद छोड़ा तो हमने भी अपना निवेश हटा लिया.


सेबी चीफ बनने से पहले हुई धवल बुच की ब्लैकस्टोन में नियुक्ति


आगे उन्होंने कहा कि धवल बुच की ब्लैकस्टोन में नियुक्ति साल 2019 में हुई. उस समय माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन नहीं थीं. सेबी ने पिछले 2 साल में 300 से ज्यादा सर्कुलर जारी किए हैं. इन्हें लोगों की राय लेने के बाद सेबी बोर्ड ने मंजूर किया है. माधबी पुरी बुच द्वारा बनाई गई दो कंपनियों को सेबी चीफ के पद पर नियुक्ति होने के बाद निष्क्रिय कर दिया गया था. इसके बारे में सेबी को जानकारी है. उन्होंने कहा कि हमने सिंगापुर के अलावा भारतीय टैक्स प्राधिकरणों को भी अपनी कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी दी हुई है.


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