Adani Group: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने फिर एक बार अडानी की कंपनी पर खड़े किए सवाल, डेलॉइट के इस्तीफे को लेकर मचा बवाल!
Adani Port: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी पोर्ट से डेलॉइट के ऑडिटर पद छोड़ने को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं और वजह बताई है कि क्यों डेलॉइट को इस्तीफा देना पड़ा.
साल 2023 की शुरुआत में आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप को हिलाकर रख दिया था. अब एक बार फिर इसने अडानी ग्रुप पर सवाल खड़े किए हैं. हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी ‘अडानी पोर्ट एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन’ की ऑडिटर पद पर काम करने वाली डेलॉइट के इस्तीफा को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. डेलॉइट दुनिया की टॉप ऑडिटिंग कंपनियों में से एक है, जो 2017 से अडानी पोर्ट के साथ जुड़ी हुई थी.
अडानी पोर्ट के ऑडिटर पद से डेलॉइट के इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही कंपनी ने नया ऑडिटर 'एमएसकेए एंड एसोसिएट्स चार्टर्ड अकाउंटेंट्स' को अपना नया ऑडिटर नियुक्त कर लिया है. डेलॉइट को अडानी पोर्ट के ऑडिटिंग के लिए 2017 में कार्यभार सौंपा गया था और जुलाई 2022 के दौरान इसका कार्यकाल पांच साल आगे के लिए बढ़ा दिया गया था. हिंडनबर्ग ने कहा कि फिर अचानक से इसका इस्तीफा कई सवाल खड़ा करता है.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने उठाए सवाल
डेलॉइट के इस्तीफे के बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने कई सवाल खड़े किए हैं. हिंडनबर्ग की ओर से जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि अडानी पोर्ट ने ऑडिटिंग के लिए डेलॉइट को पर्याप्त जानकारी देने में असफल रही है. इसके अलावा, उन तीन ट्रांजेक्शन को लेकर भी जानकारी नहीं दी गई, जिसे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जिक्र किया गया था. इसपर भी डेलॉइट ने चिंता व्यक्त किया था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि ऐसे में जब अडानी पोर्ट से बातचीत में सहमति नहीं बन पाई तो डेलॉइट ने इस्तीफे का मन बना लिया.
कंपनी ने दी सभी जानकारी
ऑडिट समिति के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा कि डेलॉइट को अडानी की कंपनी की ओर से पूरी जानकारी दी गई थी. उन्होंने कहा कि डेलॉइट ने इस्तीफे में कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में सभी जानकारी दी गई है. उन्होंने यह भी कहा कि डेलॉइट ऑडिटर पद पर बना नहीं रहना चाहता था. ऐसे में कंपनी और डेलॉइट के बीच बातचीत हुई थी और सहमति से इस्तीफा दिया गया.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने क्या लगाए थे आरोप
जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप पर अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि अडानी ग्रुप शेयरों को लेकर हेरफेर कर रहा है. साथ ही कंपनी द्वारा किए गए ट्रांजेक्शन को लेकर भी सवाल खड़े किए थे. इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप कंपनियों के शेयर तेजी से नीचे गिर गए. इतना ही नहीं गौतम अडानी की संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ था.
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