Hiring Outlook: 60 फीसदी नियोक्ताओं की राय, रोजगार बढ़ाने में मददगार होगी ये सरकारी स्कीम
Jobs Outlook: सरकार के द्वारा शुरू की गई विभिन्न पीएलआई योजनाओं का लक्ष्य देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही ये योजनाएं रोजगार सृजन बढ़ाने पर भी केंद्रित हैं.
देश में विनिर्माण (Manufacturing) को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI Schemes) पर जोर दे रही है. इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) समेत कई सेक्टर्स के लिए पीएलआई योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं. इन योजनाओं से जहां आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलने वाली है, वहीं नियोक्ताओं को लगता है कि इन योजनाओं से रोजगार के सृजन (Job Creation) में भी मदद मिलने वाली है.
रोजगार बढ़ाने में ये स्कीम मददगार
स्टाफिंग कंपनी टीमलीज ने रोजगार सृजन पर पीएलआई के प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की. रिपोर्ट तैयार करने के लिए देश भर में विभिन्न सेक्टर्स के नियोक्ताओं का सर्वेक्षण किया गया. सर्वेक्षण में भारतीय उद्योग जगत के 60 फीसदी से ज्यादा नियोक्ताओं ने बताया कि वे सरकार की पीएलआई योजनाओं के चलते अगले कुछ सालों के दौरान ज्यादा नियुक्तियां करने की योजना बना रही हैं.
इन सेक्टर्स में ज्यादा होंगी भर्तियां
रिपोर्ट के अनुसार, जिन सेक्टर्स में पीएलआई के कारण रोजगार सृजन पर सकारात्मक असर होने वाला है, उनमें फार्मास्यूटिकल, व्हाइट गुड्स और टेक्सटाइल प्रमुख हैं. फार्मास्यूटिकल सेक्टर में 68 फीसदी नियोक्ताओं को लगता है कि वे आने वाले सालों में ज्यादा भर्तियां करेंगी. इसी तरह व्हाइट गुड्स सेक्टर में 67 फीसदी और टेक्सटाइल में 62 फीसदी नियोक्ताओं को ऐसा लगता है. पीएलआई स्कीम से एमएसएमई सेक्टर में भी रोजगार सृजन बढ़ने की उम्मीद है.
इस तरह तैयार हुई रिपोर्ट
आपको बता दें कि पीएलआई योजनाओं में सरकार ने रोजगार के सृजन पर खास ध्यान दिया है. इन योजनाओं में प्रावधान है कि जैसे जैसे कंपनियां नई नौकरियां देती जाएंगे, उन्हें ज्यादा प्रोत्साहन का लाभ मिलता जाएगा. रिपोर्ट को योजना की इसी बात को लेकर नियोक्ताओं की प्रतिक्रियाओं के आधार पर तैयार किया गया है. इस सर्वे में टीमलीज ने 14 शहरों और 08 उद्योगों के 344 नियोक्ताओं की राय ली.
शहरों के हिसाब से ऐसा ट्रेंड
सर्वे के अनुसार, 70-70 फीसदी हिस्सेदारी के साथ छोटे और मध्यम आकार के संगठन नियुक्तियों की अगुवाई करेंगे. वहीं बड़े संगठनों में इसका अनुपात 22 फीसदी रह सकता है. छोटे और मध्यम आकार के संगठनों की श्रेणी को देखें तो इंदौर में 86 फीसदी, चेन्नई में 73 फीसदी और गुरुग्राम व पुणे में 65-65 फीसदी नियोक्ता भर्तियों को लेकर सकारात्मक हैं.