Home Loan की बढ़ती ईएमआई से बढ़ रही है टेंशन? जानें कैसे घटाएं इसका बोझ
Home Loan की ईएमआई या लोन चुकाने की अवधि रेपो रेट में बढ़ोतरी के साथ ही बढ़ती जा रही है. एक तरीका है जिससे आप इस टेंशन से छुटकारा पा सकते हैं.
Home Loan लेने वालों के लिए ब्याज दर बढ़ना किसी झटके से कम नहीं होता है. मई 2022 से अबतक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट में 1.90 प्रतिशत का इजाफा कर चुका है. आपने चाहे बैंक से होम लोन लिया हो या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से, होम लोन की ईएमआई या कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ने से जरूर प्रभावित हुए होंगे. ब्याज दर बढ़ाना बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की भी मजबूरी होती है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने पर उन्हें मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाता है, जिसकी भरपाई वह अपने ग्राहकों से करते हैं.
बैंकों द्वारा दिए जाने वाले फ्लोटिंग रेट वाले सभी रिटेल लोन एक एक्सटर्नल बेंचमार्क से संबद्ध होते हैं. ज्यादातर मामलों में एक्सटर्नल बेंचमार्क रेपो रेट होता है. यही कारण है कि जब-जब रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो इसका असर लोन लेने वालों पर होता है.
रेपो रेट बढ़ने पर ईएमआई और लोन चुकाने की अवधि पर क्या होता है असर?
जब कभी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट में वृद्धि करता है तो उसके दो ही नतीजे होम लोन ग्राहकों को झेलने पड़ते हैं. या तो होम लोन की ईएमआई बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां बढ़ा देती हैं या फिर लोन चुकाने की अवधि में बढ़ोतरी हो जाता है. यह बढ़ोतरी कितनी होती है इसे एक उदाहरण के जरिये समझते हैं.
मान लीजिए आपने कोई होम लोन 20 साल के लिए 7 प्रतिशत के ब्याज पर लिया. आप 1 लाख रुपये पर कुल मिलाकर 86,071 रुपये का ब्याज चुकाएंगे. आपकी ईएमआई प्रति लाख रुपये 7 प्रतिशत के हिसाब से 775 रुपये बैठेगी. अब अगर लोन लेने के तीन महीने बाद 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी इस ब्याज दर में करें, जितना की रेपो रेट बढ़ा है, तो आपकी ब्याज दर 8.9 प्रतिशत हो जाएगी. लोन चुकाने के लिए आपके पास 237 महीने थे जो बढ़कर 410 महीने हो जाएंगे. अगर ईएमआई बड़ी है तो इसे चुकाने की कुल अवधि ज्यादा नहीं बढ़ेगी. अब अगर 410 महीने वाला उदाहरण ले तो आपको 14.5 साल अतिरिक्त ईएमआई देनी होगी.
ब्याज दर बढ़ने पर कैसे घटाएं होम लोन का बोझ?
विशेषज्ञों की मानें तो बढ़ती ईएमआई का मामला हो या होम लोन चुकाने की अवधि में बढ़ोतरी का, सबसे बेहतर विकल्प यह है कि आप प्री-पेमेंट को तरजीह दें. मतलब जब भी संभव हो आप अपने लोन अकाउंट में ईएमआई के अलावा कुछ पैसे समय-समय पर जमा करवाते रहें. इससे आपके लोन का मूलधन घटेगा. मूलधन घटने से आपकी ईएमआई और लोन चुकाने की अवधि ज्यादा प्रभावित नहीं होगी.
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