Honda and Nissan Merger: जापान की बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां होंडा और निसान ने लंबे समय से चल रही अटकलों और चर्चाओं के बाद अब अपने विलय की घोषणा की है. सोमवार को दोनों कंपनियों ने इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. यह विलय उस समय हो रहा है, जब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पारंपरिक ईंधन से हटकर इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर तेजी से बढ़ रहा है.


बन जाएगी तीसरी बड़ी कंपनी


इस विलय में निसान की सहयोगी मित्सुबिशी मोटर्स भी शामिल हो रही है. अगर यह समझौता अंतिम रूप लेता है, तो यह नई समूह कंपनी बिक्री के आधार पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वाहन निर्माता बन जाएगी. यह समूह टोयोटा और फॉक्सवैगन के बाद तीसरे स्थान पर रहेगा और टेस्ला और चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के साथ मुकाबले के लिए बेहतर स्थिति में होगा.


50 बिलियन डॉलर से बड़ी कंपनी बन जाएगी


विलय के बाद बनने वाली संयुक्त कंपनी का कुल मूल्य 50 बिलियन डॉलर से अधिक होगा. वर्तमान में, होंडा का मार्केट कैप 40 बिलियन डॉलर से अधिक है, जबकि निसान की 10 बिलियन डॉलर और मित्सुबिशी की हिस्सेदारी थोड़ी कम है.


आपको बता दें, संयुक्त रूप से यह तीनों कंपनियां हर साल लगभग 80 लाख गाड़ियां बनाएंगी. टोयोटा की बात करें तो उसने 2023 में 11.5 मिलियन वाहन बनाए. अकेले होंडा ने पिछले साल 4 मिलियन, निसान ने 3.4 मिलियन और मित्सुबिशी ने 1 मिलियन वाहन तैयार किए थे.


इलेक्ट्रिक वाहन में सहयोग


इस साल की शुरुआत में, होंडा, निसान और मित्सुबिशी ने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के पार्ट्स साझा करने और स्वायत्त ड्राइविंग सॉफ़्टवेयर पर संयुक्त शोध करने की योजना बनाई थी. यह सहयोग इंडस्ट्री में तेजी से हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बैठाने और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के बढ़ते वर्चस्व का मुकाबला करने के लिए है.


होंडा के एक प्रवक्ता ने कहा, "यह विलय एकजुट होकर तेजी से बदलते बाज़ार के अनुकूल होने का प्रयास है. साथ मिलकर, हम इलेक्ट्रिफिकेशन और स्वायत्त ड्राइविंग जैसी चुनौतियों का बेहतर समाधान कर सकते हैं."


पूरी दुनिया के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर पड़ेगा असर


अगर यह विलय सफल होता है, तो होंडा-निसान-मित्सुबिशी समूह टोयोटा, फॉक्सवैगन और टेस्ला जैसे दिग्गजों को चुनौती देने की स्थिति में होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जापानी वाहन निर्माताओं के लिए यह विलय जरूरी है, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में फिलहाल ये कंपनियां अपने कंपीटीटर से पीछे हैं.


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